भारत का इतिहास सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं, यह योद्धाओं का इतिहास है: PM

शुक्रवार को विज्ञान भवन में आयोजित असम के वीर सपूत और
अहोम साम्राज्य के प्रसिद्ध सेनापति लचित बरफुकन की 400वीं जयंती के समापन कार्यक्रम
में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके योगदान को याद किया और देश के इतिहास को लेकर
अपनी बात रखी, इस अवसर पर असम के राजयपाल जगदीप मुखी, मुख़्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा,
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पूर्व CJI रंजन गोगोई तथा अन्य कई गणमान्य लोग उपस्थित
रहे।
कौन थे लचित बरफुकन
असम के राजा जयध्वज मुगलों से हुए युद्ध में सन 1663 में
हार गए, राजा जयध्वज को हर्जाने के तौर पर एक लाख रूपये, अपनी सेना के हाथी, बंदूकें
तथा जहाज देने पड़े इसके अलावा राजा को अपनी इकलौती बेटी को मुग़ल हरम में भेजना
पड़ा, अपनी इस बेज्जती से दुखी होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली, इसका बदला उनके सेनापति
लचित बरफुकन ने 8 साल में विशाल मुग़ल सेना को हराकर लिया, लचित बरफुकन का जन्म 24 नवंबर
1622 को हुआ था तथा यह उनकी 400वीं जयंती है।
लचित जैसी मां भारती की अमर संतानें हमारी अविरल प्रेरणा
हैं: PM
प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन के दौरान कहा लचित जैसी मां
भारती की अमर संतानें हमारी अविरल प्रेरणा का स्रोत है मैं उन्हें नमन करता हूँ, अगर
कोई तलवार के जोर से हमें झुकाने की कोशिश करता है या हमारी पहचान बदलने की कोशिश करता
है तो इसका जवाब देना हमें आता है तथा पूर्वोत्तर की धरती इसकी गवाह रही है।
भारत का इतिहास, सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा हमें सदियों से ये बताने की कोशिश
की गई है कि हम हमेशा लुटने-पिटने वाले तथा हारने वाले लोग रहे हैं, भारत का इतिहास,
सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है बल्कि यह योद्धाओं का इतिहास है विजय का इतिहास है,अत्याचारियों
के विरुद्ध अभूतपूर्व शौर्य और पराक्रम दिखाने का इतिहास है, भारत का इतिहास जय, त्याग,
तप, जंग, वीरता, बलिदान तथा महान परंपरा का इतिहास है लेकिन दुर्भाग्य से हमें वही
इतिहास पढ़ाया जाता रहा जो गुलामी के समय साजिश के तहत लिखा गया।
पहले जो गलती हुई, अब देश उसे सुधार रहा है
प्रधानमंत्री ने कहा अत्याचारों से भरे लंबे कालखंड में
अत्याचारियों पर विजय की भी हजारों गाथाएं हैं, इन गाथाओं को इतिहास की मुख्यधारा में
जगह ना देकर पहले जो गलती हुई, देश उसे अब सुधार रहा है।