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टोक्यो ओलंपिक में बड़ी उम्मीदों के साथ उतरेगा भारत

मुंबई | टोक्यो ओलंपिक के शुरू होने में 24 घंटे से भी कम का समय शेष रह गया है और 127 सदस्यीय भारतीय दल यहां बड़ी उम्मीदों के साथ उतरेगा और उसकी नजरें अपने ओलंपिक इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मेडल लाने पर होगी। 

ओलंपिक का आयोजन ऐसे समय हो रहा है जब पूरी दुनिया में कोरोना का कहर बरप रहा है। इस महामारी से ओलंपिक खेल गांव भी अछूता नहीं है और यहां कोरोना के मामले सामने आए हैं। 

मेजबान देश जापान में लोग महामारी के समय और दर्शकों के बिना ओलंपिक के आयोजन को लेकर गुस्से में है लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) और जापान सरकार इस तथ्य को जानते हुए भी इन खेलों का आयोजन करा रहा है। 

हालांकि, एथलीटों ने इस दिन के लिए पांच साल का इंतजार और मेहनत की है और इनकी निगाहें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर अपने-अपने देश के लिए पदक लाने पर होगी। 

भारत ने टोक्यो ओलंपिक में रिकॉर्ड संख्या में एथलीटों को भेजा है जिसके कारण इस बार एथलीटों से काफी उम्मीदें भी हैं। 

भारत का ओलंपिक में इतिहास कुछ खास नहीं रहा है और उसने पिछले 100 वर्षो से अधिक समय में नौ स्वर्ण, सात रजत और 12 कांस्य पदक सहित 28 पदक ही जीते हैं। 

भारत ने हॉकी में 1928 से 1980 (1976 को छोड़कर) लगातार पदक जीते हैं। भारत ने हॉकी में आठ स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक जीता है। हॉकी के अलावा 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने भारत को 10 मीटर एयर राइफल में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक दिलाया था। 

भारत ने 2012 लंदन ओलंपिक में पदक के आधार पर अपना बेस्ट प्रदर्शन किया था। भारत की ओर से शूटर विजय कुमार और सुशील कुमार के द्वारा दो रजत, मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम (महिला फ्लाईवेट), बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल (महिला एकल), पहलवान योगेश्वर दत्त (पुरुष फ्रीस्टाइल 60 किग्रा) और निशानेबाज गगन नारंग (पुरुष 10 मीटर एयर राइफल) के जरिए चार कांस्य पदक जीते थे। 

हालांकि, 2016 रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था और उसने सिर्फ दो पदक ही जीते थे। भारत की ओर से पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में रजत और पहलवान साक्षी मलिक (महिला फ्रीस्टाइल 58 किग्रा) में कांस्य पदक जीता था। 

इस बार टोक्यो ओलंपिक में भारतीय ओलंपिक संघ और केंद्रिय खेल मंत्रालय को भारत से दोहरे अंक में पदक लाने की उम्मीद है। सरकार ने टारगेट पोडियम स्कीम से एथलीटों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, उपकरण, विदेशी विशेषज्ञ और ट्रेनिंग पर काफी खर्च किया है। 

1980 मॉस्को ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम की हिस्सा रही एमएम सौम्या ने आईएएनएस से कहा, “भारत को दोहरे अंक में पदक जीतना होगा। तीरंदाज, निशानेबाज, पहलवान और मुक्केबाजों ने पिछले दो वर्षो में अच्छे नतीजे दिए हैं। अगर ये उसी फॉर्म को बरकरार रखते हैं तो पदक जीत सकते हैं।” 

विजय कुमार ने कहा, “अगर हम रियो ओलंपिक के बाद पिछले चार वर्षो का प्रदर्शन देखें तो राइफल और पिस्टल शूटर पदक जीतने के दावेदार हैं। मुझे यकीन है कि राइफल और पिस्टल में भारत दो-तीन पदक जीतेगा।” 

विजय ने पिस्टल निशानेबाजों सौरभ चौधरी, मनु भाकर, राही सरनोबत तथा राइफल निशानेबाजों द्वियांश सिंह पंवार, अंजुम मुद्गिल और मिश्रित टीम जोड़ी को भारत के लिए शीर्ष पदक के दावेदारों में चुना।

इनके अलावा भारतीय पुरुष हॉकी टीम भी पदक हासिल करने की प्रबल दावेदार है। हॉकी के अलावा भारत को पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया से भी पदक की उम्मीद है। 


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