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राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव चुनाव पुनर्सुधार में बाधक: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कृष्णमूर्ति

पर्याप्त राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव चुनाव पुनर्सुधार में बाधक साबित हुआ है। लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव सुधार के प्रति उदासीन हैं।  एबी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित “देश के लिए निहायत जरूरी है चुनाव पुनर्सुधार” विषयक  वेबीनार को बहुचर्चित पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त  टी एस कृष्ण मूर्ति ने अपने संबोधन में उक्त विचार प्रकट करते हुए कहा कि अनेक विकसित देशों में जहां राजनीतिक पार्टियों के लिए अलग से कानून है वही भारत में इसकी कमी है। चुनाव सुधार के लिए यह जरूरी है कि “नेशनल इलेक्शन फंड”  की स्थापना हो। किसी भी  राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार का समस्त चुनावी खर्च इसी ” नेशनल इलेक्शन फंड” से ही किया जाए तथा विधानसभाओं के चुनाव एक ही दिन में संपन्न हों। चुनावी प्रक्रिया में नामांकन और मतदान के बीच की अवधि और कम की जाए।  ऐसी मुक्कमल सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए ताकि देश मे लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हो सकें। । साथ ही साथ कॉरपोरेट्स तथा राजनीतिक पार्टी के बीच संबंध की कड़ी को समाप्त किया जाना चाहिए। ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। 
उन्होने कहा कि चुनाव प्रणाली में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जिससे किसी भी कैंडिडेट को अयोग्य घोषित करने के साथ उस पर आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान हो। इसके लिए पर्याप्त राजनीतिक   इच्छाशक्ति निहायत जरूरी है।  इसके बिना चुनाव सुधार की परिकल्पना  संभव नहीं है। 
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने वर्तमान प्रधानमंत्री को पत्र के माध्यम से चुनावी सुधारों को  लेकर 24 सूत्रीय संस्तुति की है। उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से अपने चुनाव घोषणापत्र में चुनाव सुधार को शामिल करने का भी आह्वान किया। उन्होंने मंत्रियों के लिए एक निश्चित शैक्षणिक बाध्यता की अनिवार्यता पर भी बल दिया । 
 वेबीनार के दूसरे  वक्ता बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष, तथा सुप्रीम  कोर्ट के वरिष्ठर अधिवक्ता केसी मित्तल ने जहां अपने संबोधन में मॉडल कोड आफ कंडक्ट को और विस्तार देने पर जोर दिया वहीं साथ ही साथ उन्होंने उम्मीदवारों द्वारा आया राम और गया राम की जो व्यवस्था  जो वर्तमान में चल रही है उस पर अविलंब रोक लगाने की मांग की।  
चुनाव आयोग द्वारा साफ-सुथरी चुनावी प्रक्रिया की व्यवस्था हो । साथ ही साथ अगर कोई जनप्रतिनिधि दल बदल करना चाहता है तो उसके लिए एक कूलिंग पीरियड की व्यवस्था हो।  चुनाव में बेतहाशा बढते खर्च को कैसे नियंत्रित किया जाए इसकी व्यवस्था  निश्चित तौर पर होनी चाहिए। 
उन्होंने अपने संबोधन में कहां कि कभी-कभी तो हमें लगता है कि हम अपने संविधान को ही बेवकूफ बना रहे हैं। उन्होंने संविधान के अधिनियम 324 में वर्णित नियम का चुनाव आयोग से प्रयोग करने पर विस्तृत चर्चा की . उन्होंने मीडिया तथा सोशल मीडिया पर भी नियंत्रण करने की बात कही । 
वेबिनार में बतौर प्रथम वक्ता हिंदी समाचार पत्र “प्रभात खबर” कोलकाता के स्थानीय संपादक कौशल किशोर त्रिवेदी ने ग्रामीण क्षेत्र के पंचायत चुनावों में भी बढ़ते जा रहे बेतहाशा खर्च पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव सुधार में ऐसी व्यवस्था हो जिससे कि चुनाव वही लड़े जिसमें देश के लिए तथा देश को बदलने की इच्छा शक्ति हो। जो सेवा के उद्देश्य के साथ चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने रिजर्व सीट में भी समय-समय पर परिवर्तन करने पर जोर दिया। 
कार्यक्रम में संस्था के मार्गदर्शक तथा वरिष्ठ पत्रकार पदम पति शर्मा ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि यदि हमें नए भारत की परिकल्पना को साकार करना  है तो बिना देरी किए वर्तमान चुनाव प्रणाली में सुधार करना होगा। उन्होंने बंगाल में चुनाव  बाद हो रही हिंसा को खतरनाक ट्रेंड करार देते हुए आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी बताया । स्वच्छ तथा हिंसा रहित ऐसी चुनावी व्यवस्था हो ताकि अपराधियों की जगह  योग्य व्यक्ति ही चुनकर आए। उन्होंने इसी के साथ अपने पत्रकारिता के दौरान हुए चुनावी धांधली के कटु जमीनी अनुभव को भी साझा किया। 
फाउंडेशन के ट्रस्टी  दिल्ली के चार्टर्ड अकाउंटेंट तथा आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ सीके मिश्रा ने अपनी संस्था की ओर से  विभिन्न विषयों पर कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान आयोजित वेबिनारों की विस्तृत जानकारी दी। 
कार्यक्रम के संचालन के दायित्व का दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की प्रोफेसर सुश्री डॉ सुरभि पांडे ने सफलता के साथ निर्वहन किया।
अंत में फाउंडेशन की ओर से अपने धन्यवाद ज्ञापन में  कोलकाता के अधिवक्ता व समाज सेवी आनंद कुमार सिंह ने सभी वक्ताओं, श्रोताओं तथा अपनी टीम के साथियों का आभार व्यक्त करते हुए विश्वास जताया कि आने वाले समय में भारत में स्वच्छ तथा पारदर्शी चुनाव प्रणाली की शुरुआत होगी। ताकि योग्य व्यक्ति ही चुनाव प्रक्रिया में शामिल हो और हमारा भारतवर्ष विश्व गुरु बने।  इस विश्वास के साथ उन्होने वर्चुअल गोष्ठी को विराम दिया।

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