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‘मैकाले’ एक अंग्रेज अधिकारी जिसने भारतीय शिक्षा का कर दिया सत्यानाश

‘मैकाले’ एक अंग्रेज अधिकारी जिसने भारतीय शिक्षा का कर दिया सत्यानाश

थोमस बैबिंगटन मैकाले एक ब्रिटिश देशभक्त तथा अंग्रेज अधिकारी था जो 1834 में ब्रिटेन गवर्नर जनरल के क़ानूनी सदस्य के रूप में भारत आया था तथा इसने तात्कालिक पाच्य पाश्चात्य विवाद को समाप्त कराया तथा अंग्रेजी शिक्षा व पश्चिमी संस्कृति को बढ़ाने के लिए बहुत कार्य किये।

भारतीय शिक्षा व्यवस्था तथा सांस्कृतिक विरासत को खत्म किया

भारत आने के बाद मैकाले ने 1835 में सम्पूर्ण देश का भ्रमण किया और उसने पाया कि यहाँ पर एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो भिखारी या चोर हो तथा यहाँ के लोग ऊँचे चरित्र के आदर्श तथा गुणवान थे, उसने यहाँ की शिक्षा व्यवस्था तथा सांस्कृतिक विरासत देखने के बाद कहा जब तक भारत की रीढ़ की हड्डी यानि एजुकेशन सिस्टम को तोड़ न दें तब तक भारत को जीतना असंभव है।

हमें हिन्दुस्तानियों में ऐसा वर्ग तैयार करना है जो रंग से भारतीय तथा बौद्धिकता से अंग्रेज हों

1858 में मैकाले ने भारत में इंडियन एजुकेशन एक्ट बनाया जिसमे उसने अपनी सोच के अनुसार भारतीय शिक्षा व्यवस्था को खत्म करके अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था को लागू किया, उसने कहा हमें भारत में एक ऐसा वर्ग तैयार करना है जो रंग तथा रक्त से भारतीय तथा विचार अभिरुचि, बौद्धिकता व नैतिकता से अंग्रेज हो, मैकाले अपनी चाल में कामयाब हो गया उसके विचार आज भी प्रासंगिक हैं भारत 1947 में आजाद हो गया लेकिन देश आज भी मैकाले की व्यवस्था की गुलामी से नहीं निकल पाया आज भी हम भारतीय लोग अपनी भाषा तथा संस्कृति को पश्चिमी संस्कृति से गौड़ मानते है हमें इस गुलामी से निकलना होगा।

7 लाख से अधिक गुरुकुलों को खत्म कर दिया गया तथा संस्कृत भाषा को गैरकानूनी घोषित कर दिया

मैकाले ने कहा था जैसे खेत में फसल बोने से पहले खेत को जोतना जरुरी होता है उसी तरह से भारत में अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ाने के लिए यहाँ की व्यवस्था खत्म करनी होगी, इसके तहत उसने भारत में स्थित लाखों गुरुकुलों को खत्म करा दिया गया गुरुओं को मारा पीटा गया भारतीय भाषाओँ को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया तथा अंग्रजी भाषा को क़ानूनी भाषा बनाया।