शेयर बाजार

वैज्ञानिक मानसिकता शेयर बाजार में लाभदायक व्यापार की कुंजी है

एक नए निवेशक की सामान्य मानसिकता:
  • शेयर बाजार बहुत ऊपर जा रहा है। 
  • कुछ निवेशक अपने अच्छे रिटर्न को लेकर उत्साहित हो जाते हैं 
  • कुछ लोगों की लगता है की वे चूक गए हैं, इसलिए बाजार में पैसा डालना चाहते हैं 
  • नए निवेशक को लगता है की आसान पैसा बनाने के लिए बाजार उपयुक्त है 
नई दिल्ली | अक्सर ज्यादातर लोग इन सभी विचारों के साथ निवेश के लिए बाजार में अपना पहल कदम रखते हैं। लेकिन ये सभी बातें अक्सर सच नहीं होती हैं।  बाजार में निवेश करने से पहले एक निवेशक को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।  यही बता रहे हैं हमारे विशेषज्ञ मनोज तिवारी।   
हमने अपने पहले लेख में कुछ बुनियादी बातों का ज़िक्र किया था , जैसे की 
  • अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में पूरी और सही जानकारी
  • वर्तमान और संभावित भविष्य की कमाई और बचत का पूरा हिसाब
  • निवेशक की जाने वाली संपत्ति, किसी भी प्रकार का ऋण या देयता, भविष्य में दिया जाने वाला ऋण इत्यादि 
  • स्वास्थ्य/सावधि बीमा और अंत में 
  • निवेश के लिए सटीक अतिरिक्त पूंजी, जिसकी आपको वर्षों तक आवश्यकता नहीं हो।   
हालाँकि इन सभी बातों के ऊपर एक और बुनियादी सोच या मानव प्रकृति काम करती है और वो है लोभ या लालच (GREED & FEAR)। लालच और डर या शायद आशा, शेयर बाजार (Share Market) में ट्रेडिंग के लिए प्रासंगिक भावनाएं हैं। हम बचपन से ही इन भावनाओं के साथ रहते हैं।  लेकिन शेयर बाजार में सफलता पाने के लिए या फिर अपने नुक्सान को काम से काम करने के लिए किसी भी निवेशक को इन दोनों भावनाओं पर पूरी तरह से काबू पाने की ज़रूरत होती है।  
बाजार में निवेश से पहले किसी भी प्रकार के डर को कम करने के लिए किसी भी निवेशक को अपनी वित्तीय स्थिति को अच्छे से समझने की जरूरत पड़ती है। ऊपर दिए गए कुछ बुनियादी सवालों का जवाब देकर आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं की बाजार में आप कितनी पूँजी लगा सकते हैं और कितना जोखिम उठा सकते हैं , जिससे आपको कोई स्थाई नुक्सान न हो। 
साथ ही हमें यह समझने की जरूरत है कि लालच ही भय का कारण है। मान लीजिए कि जल्दी और बड़ा मुनाफा कमाने के लालच और आशा में, हम इतनी बड़ी ट्रेडिंग पोजीशन बनाते हैं – जो हमारी वास्तविक वित्तीय ताकत से समर्थित नहीं है। इसके बाद किसी कारणवश बाजार की स्थिति प्रतिकूल हो जाती है, जो हमेशा हो सकता है। 
वित्तीय सलाहकारों और बाजार पंडितों के हिसाब से व्यापार संभावना का व्यवसाय है यहाँ सभी कुछ जीतते हैं तो हारते भी हैं।  भले ही आप बहुत सावधानी से निवेश करते आ रहे हैं लेकिन कभी कभी नुक्सान होना भी निश्चित है। ऐसे में बड़े निवेश के कारण हानि भी उतनी ही बड़ी होती है, और ऐसी स्थिति में निवेशक इस नुक्सान को झेल नहीं पाते हैं।  
ऐसी स्थिति में निवेशक स्टॉप लॉस या निष्पादित करके नुकसान को रोकने के बजाय, व्यापार को इस उम्मीद में खुला रखते हैं कि यह फिर से अनुकूल हो जाएगा या कम से कम कम हो जाएगा, लेकिन नुक्सान बढ़ता जाता है हो कई बार नुक्सान असहनीय हो जाता है। 
इसलिए हमें अपनी वित्तीय ताकत के आधार पर ट्रेडिंग पोजीशन साइज के नियमों का पालन करके अपने लालच की जांच करने की जरूरत पड़ती है।  यानी किसी भी एक ट्रेड में स्वीकार्य अधिकतम नुकसान, ट्रेडिंग कैपिटल के 1 फ़ीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए, जो की निवेश पूंजी का 10 फ़ीसदी तक हो सकता है।  ये निवेश पूँजी आपकी अतिरिक्त पूँजी है जिसकी आपको वर्षों तक आवश्यकता नहीं पड़ने वाली है।  
इसलिए लगातार लाभदायक व्यापार के लिए, हमें लालच और भय की भूमिका को बारीकी से समझने की जरूरत है।
इन भावनाओं को प्रबंधित करने के लिए, हमें अपनी पूरी वित्तीय स्थिति के बारे में गहराई से जागरूक होने की आवश्यकता है और ऐसा करने के बाद ही शेयर बाजार में निवेश करने का निर्णय करें।
शेयर बाजार में कदम रखने के लिए नया निवेशक सबसे पहले पहले म्यूचुअल फंड के माध्यम से शुरआत कर सकता है। म्यूच्यूअल फण्ड में भी कम अस्थिर श्रेणियों यानी बैलेंस्ड फंड, फ्लेक्सी कैप फंड और फिर मिड / स्मॉल कैप फंड से शुरूात की जा सकती है। 
इसके बाद फिर इक्विटी में सीधे निवेश किया जा सकता है जिसके अंदर भी शुरआत में लार्ज कैप कंपनियों के साथ ट्रेडिंग का सुझाव दिया जाता है।  उसके बाद छोटी कंपनियों की और रुख किया जा सकता है जो कि अत्याधिक अस्थिर होती हैं और एक नए निवेशक के लिए सहज नहीं होती हैं। 
जब म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) और इक्विटी (Equity) में निवेश के बाद आपके पास थोड़ी सा अनुभव और एक उचित कोष जमा हो जाए तब जाकर बाजार में पूरी तरह से उतरना चाहिए। ऐसी स्थिति में आप बाजार में तेज़ी से अपनी पूँजी पर लाभ अर्जित कर सकते हैं लेकिन साथ ही साथ तेजी से नुकसान भी हो सकता है। 
बाजार में निवेश के इस चरण में भी सबसे पहले ट्रेडिंग के बारे में सही तरीके से जानने की कोशिश करें।  इसके बाद पेपर ट्रेडिंग का अभ्यास करें, फिर बहुत छोटे आकार में ट्रेड करें; यदि लगातार लाभदायक हो तो व्यापार का आकार बढ़ाएं – लेकिन केवल डिलीवरी मोड में – फ्यूचर्स और ऑप्शंस में नहीं।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस उन लोगों के लिए सही  हैं जिनके पास मार्केट में ट्रेडिंग का पर्याप्त अनुभव है और उनके पास न्यूनतम ट्रेडिंग कैपिटल (Minimum Trading Capital) 15/20 लाख है, ताकि वे प्रत्येक ट्रेड में इसका 1% यानी 15/20000 का जोखिम उठा सकें।
यह रोडमैप आपको बाजार में निवेश करते समय लालच और भय के प्रबंधन में मदद कर सकता है। यह आपको सही मनोवैज्ञानिक मानसिकता बनाने में मदद कर सकता है। यह आपको ट्रेडिंग से आपकी अपेक्षाओं को नियंत्रण में रखने में भी मदद करेगा – एफडी से 5 से 6%, इक्विटी निवेश से 12%, ट्रेडिंग से 24% – एफडी रिटर्न का 4 गुना और इक्विटी निवेश रिटर्न का 2 गुना। क्या यह काफी नहीं है? 24% पैसा 3 साल में दोगुना हो जाता है और 6% पैसा 12 साल में दोगुना हो जाता है (With 24% money doubles in 3 yrs & with 6% in 12 yrs) ।
यह व्यापार के आकार, स्टॉप लॉस और लक्ष्य के हिट होने तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करने के नियमों का पालन करने में मदद करेगा। आपका मन इस तरह से लगातार लाभदायक व्यापार व्यवसाय के लिए प्रोग्राम किया गया है, पेपर ट्रेडिंग और फिर स्मॉल साइज ट्रेडिंग में इन नियमों का अभ्यास करके दिमाग को ट्यून करें – ताकि ये नियम हमारी अवचेतन आदत बन जाएं।
इसके बाद ही आप शेयर बाजार में अपने निवेश को बड़ा और सफल बनाने के लिए तैयार होंगे।  तो किसी भी अन्य पेशे की तरह, बाजार में कूदने से पहले ठीक से तैयारी करें। उम्मीद है कि इन सभी नियमों और सुझावों का पालन करके आप भी शेयर बाजार में सफलतापूर्वक ट्रेड कर सकेंगे। 
(वित्तीय/बाजार विशेषज्ञ : मनोज तिवारी )

ऊपर दिए गए विचार और सिफारिशें आपको शिक्षित करने के लिए हैं, मेधज से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। कृपया अपने निजी वित्तीय सलाहकार से विचार विमर्श करने के बाद ही बाजार में निवेश करें। 
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