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मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से प्रदेश के मत्स्य उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन दिखाई देंगे - डा0 संजय कुमार निषाद

मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से प्रदेश के मत्स्य उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन दिखाई देंगे - डा0 संजय कुमार निषाद

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और उससे जुड़े व्यक्तियों के कल्याण के लिए मत्स्य पालक कल्याण फण्ड की स्थापना हेतु नियमावली में तृतीय संशोधन के माध्यम से उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष के गठन की कार्यवाही की गयी है। इस हेतु वित्तीय वर्ष 2022-23 में 25 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। इस कोष से प्रदेश की गरीब मछुआ आबादी जिनकी अजीविका मत्स्य पालन, मत्स्याखेट एवं मत्स्य विपणन आदि कार्यों पर निर्भर रहती है, की सहायता की जायेगी तथा मत्स्य पालन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में निष्प्रयोज्य पड़ी कृषि क्षेत्र की अनुपयुक्त भूमि/तालाब/पोखरां/जलाशयों के उपयोग हेतु ग्रामीण अंचल के बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार का साधन जुटाने जैसे कल्याणकारी एवं विकास कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जाएगा, जो मधुओं/मत्स्य पालकों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कराए जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उत्तर प्रदेश के मत्स्य विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री डा0 संजय कुमार निषाद ने आज यहां अपने आवास पर पत्रकार बन्धुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में मत्स्य पालन की दिशा में क्रांतिकारी निर्णय लिये जा रहे हैं और केन्द्र एवं प्रदेश की योजनाओं का अधिकतर लाभ मत्स्य पालकों एवं मछुआरों को उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य सरकार मत्स्य उत्पादन को रोजगार से जोड़ते हुए मत्स्य उत्पादकों की आमदनी को बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है और मात्स्यिकी क्षेत्र एवं मछुआ समुदाय की समस्याओं का निरन्तर निराकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन के माध्यम से स्वरोजगार के अवसरों का सृजन किया जा रहा है।

मत्स्य विकास मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मछुआ समुदाय की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष के क्रियान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश मत्स्य (विकास एवं नियंत्रण) (तृतीय संशोधन) नियमावली-2022 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मत्स्य विभाग द्वारा राज्य सेक्टर सहायतित उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष हेतु उत्तर प्रदेश मत्स्य (विकास एवं नियंत्रण) 1954 के तृतीय संशोधन के रूप में नियमावली बनायी गयी है।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि मत्स्य क्षेत्र से प्रदेश में लगभग 39 लाख मछुआरों एवं मत्स्य पालकों को आजीविका प्राप्त होती है। इस क्षेत्र में उत्पादकता वृद्धि और मत्स्य पालकों की आर्थिक समृद्धि की अपार सम्भावनाएं हैं। इसके दृष्टिगत प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में वृद्धि लाने व ग्रामीण अंचलों में आवासित स्थानीय मत्स्य पालकों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान हेतु प्रदेश सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ के रूप में एक नवीन राज्य योजना संचालित करने का निर्णय लिया गया है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में ग्राम सभा के तालाबों में मत्स्य पालन का कार्य स्थानीय मछुआरों व पट्टाधारकों द्वारा परम्परागत तरीके से किया जा रहा है। इन तालाबों की वार्षिक मत्स्य उत्पादकता मात्र 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इन तालाबों का मनरेगा कन्वर्जेन्स के माध्यम से सुधार कराकर अथवा स्वयं के संसाधन से सुधारे गये ग्राम सभा एवं अन्य पट्टे के तालाबों में मत्स्य पालन हेतु अनुदान उपलब्ध कराते हुए मत्स्य उत्पादकता को 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। ग्राम सभा के तालाबों के पट्टाधारकों व मछुआरों की आय में वृद्धि व उनका आर्थिक व सामाजिक उत्थान किया जाना सरकार की प्राथमिकताओं में सम्मिलित है। वर्तमान में प्रचलित ‘प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ में ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित तालाबों पर कोई परियोजना अनुमन्य नहीं है। इसी रिक्तता को भरने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ को मंजूरी दी गयी है।

मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि ‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ का क्रियान्वयन 02 उप योजनाओं-‘कम्पोनेन्ट ए’ एवं ‘कम्पोनेन्ट बी’ के माध्यम से किया जाएगा। ‘कम्पोनेन्ट ए’ के तहत मनरेगा कन्वर्जन्स अथवा पट्टाधारक स्वयं तथा अन्य विभागों के माध्यम से सुधारे गये ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में प्रथम वर्ष निवेश पर अनुदान हेतु इकाई लागत 04 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। ‘कम्पोनेन्ट बी’ के तहत मनरेगा कन्वर्जेन्स अथवा पट्टाधारक स्वयं तथा अन्य विभागों के माध्यम से सुधारे गये ग्राम सभा व अन्य पट्टे के तालाबों में मत्स्य बीज बैंक की स्थापना योजना हेतु इकाई लागत 04 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।

कैबिनेट मंत्री डा0 संजय कुमार निषाद ने बताया कि ‘मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना’ के कार्यान्वयन के लिए जिला स्तर पर लाभार्थी चयन एवं अनुमोदन, योजना के पर्यवेक्षण व निगरानी हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। मत्स्य विभाग का जिला स्तरीय अधिकारी इस समिति का सदस्य सचिव होगा। लाभार्थियों का चयन जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा। इच्छुक लाभार्थियों के आवेदन विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन प्राप्त किये जाएंगे। पूर्ण पट्टा अवधि में पट्टाधारक को किसी भी एक परियोजना में एक बार ही लाभ देय होगा। लाभार्थी चयन में जनपद स्तर पर उपयुक्तता के आधार पर यथासम्भव सभी वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। लाभार्थी चयन के उपरान्त स्थल का प्रारम्भिक सर्वेक्षण मत्स्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।