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उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा ’’सिंधी भाषा के विकास में शिक्षकों का महत्व’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया

उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा आज दिनांक 18 जुलाई 2021 को ऑनलाइन वेबीनार विषय- ’’सिंधी भाषा के विकास में शिक्षकों का महत्व’’ पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अकादमी उपाध्यक्ष नानक चंद लखमानी द्वारा वेबीनार में उपस्थित वक्ताओं अतिथियों का स्वागत करते हुए अकादमिक कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के संबंध में अवगत कराया गया। इसके साथ ही उनके द्वारा अवगत कराया गया कि अकादमी द्वारा सिंधी शिक्षकों को बढ़ावा दिये जाने हेतु कक्षा 10 एवं 12 के छात्रों को सिंधी विषय से पढ़ाने वाले अध्यापकों को छात्रों के उत्तीर्ण होने के पश्चात् उन्हें धनराशि रू0 5000.00 प्रति छात्र प्रदान किये जाते है। वेबीनार में उत्तर प्रदेश के 05 वक्ताओं क्रमशः अनन्तिका लखमानी, बहराइच, लीना थावानी, कानपुर, विभूति केवलानी, बरेली, रेखा मूलानी, आगरा, भरत कुमार, बरेली द्वारा अपने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए गए।
अनन्तिका लखमानी बहराइच द्वारा अपने वक्तव्य में अवगत कराया गया कि -शिक्षक एक दिए के समान होते हैं जो अपनी ज्ञान रूपी ज्योति से हर विद्यार्थी के जीवन को उज्जवल बनाते हैं। शिक्षको द्वारा अपने छात्रों को भारतीय प्रशासनिक सेवाओ में जाने हेतु मार्गदर्शन दिया जा रहा है, जिससे छात्र सिंधी वैकल्पिक विषय पढ़कर आई0ए0एस0 बनने तक का मार्ग प्रशस्त कर रहे है। छात्रों को सिंधी भाषा पढ़ने से सरकारी सेवाओं से रास्ते खुलते है।
रेखा मुलानी, आगरा तथा विभूति, बरेली द्वारा संयुक्त रूप से अवगत कराया गया है कि ’’मां ही बच्चे की पहली शिक्षिका होती है और उसका घर ही उसका पहला स्कूल होता है इसीलिए हमें सिन्धी भाषा को बढ़ाने के लिए शुरुआत घर से ही करनी होगी। मातृशक्ति इसमें बड़ा योगदान दे सकती है।’’ लीना थावानी, कानपुर द्वारा अपने वक्तव्य को निम्नवत् प्रस्तुत किया गयाः-
‘‘जैसे नाविक पार लगाए, नाव को पतवार से। शिक्षक भी रोशनी बनकर, निकालें जीवन को अंधकार से।‘‘ इसलिए शिक्षक की समाज में बहुत बड़ी भूमिका होती है शिक्षक ही सही मायनों में समाज को दिशा देने का काम करते हैं। भरत कुमार द्वारा अपने वक्तव्य में अवगत कराया गया कि ’’सिंधीे शिक्षको द्वारा छात्रों को पाठ्यक्रम पढ़ाये जाने के साथ ही मानवता, ईमानदारी, सभ्याचार आदि के बारे में भी जानकारी दी जाती है।’’ आजकल सिंधी समाज के लोग व्यापार के साथ ही अपने बच्चों को पढ़ाई कराने के लिए भी जागरूक हुए है। जिसका परिणाम है कि आज सिंधी विषय पढ़कर छात्र भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में जा रहें हैं।
कार्यक्रम का संचालन हीरल कवलानी, नोएडा द्वारा किया गया। अकादमी के निदेशक कल्लू प्रसाद द्विवेदी द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं व श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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