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तेजस्वी की आरजेडी पार्टी नेताओं पर सीबीआई की गाज

तेजस्वी की आरजेडी पार्टी नेताओं पर सीबीआई की गाज

सीबीआई और ईडी वर्तमान समय में पूरे देश में कहीं कहीं छापेमारी कर एक नया राज खोल रही हैं। इसी सिलसिले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद अशफाक करीम, फ़ैयाज़ अहमद और एमएलसी  सुनील सिंह के घर आज सुबह केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने छापा मारा। कथित जमीन-रेलवे नौकरियों के मामले में बिहार में यह छापेमारी हुई।

कथित तौर पर इस छापेमारी पर राजद एमएलसी और बिस्कोमान पटना के अध्यक्ष सिंह एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है,जिसका कोई मतलब ही नहीं है। आज सुबह से ही केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सुनील सिंह के घर सुबह 7.30 बजे से डेरा डाला हुआ है, इसके साथ ही  करीब 24 लोकेशंस पर सीबीआई ने रेड की है। 

इसमें दिल्ली, गुरुग्राम, पटना, कटिहार, मधुबनी शामिल है। गुरुग्राम में अर्बन क्यूब 71 मॉल है, ये तेजस्वी यादव और उनके करीबियों का बताया जा रहा है, यहां भी रेड हो रही है।

राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने एक दिन पहले ही ट्वीट किया था कि सीबीआई और अन्य केंद्रीय एजेंसियां छापेमारी की तैयारी कर रही हैं क्योंकि बीजेपी बिहार में सत्ता गंवाने को लेकर बौखला गई है। शक्ति सिंह यादव ने ट्वीट पर बौखलाई भाजपा के सहयोगी सीबीआई, ईडी,आईटी  बिहार में अतिशीघ्र ही रेड की तैयारी कर रहे है।

अगर घोटाले की बात की जाये तो बताया जा रहा हैं कि यूपीए-1 सरकार में लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है। सीबीआई  ने 18 मई 2022 को एफआईआर  दर्ज की थी,इसमें लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव समेत अन्य लोगों के नाम है।   ये भर्ती घोटाला साल 2004 से 2009 के बीच के समय का है, जब लालू यादव रेल मंत्री रहते  जॉब लगवाने के बदले जमीन और प्लॉट लिए गए थे। इस मामले में सीबीआई ने लालू यादव के करीबी भोला यादव को गिरफ्तार किया था,  साल 2004 से 2009 में जब लालू यादव रेल मंत्री थे तब भोला यादव उनके निजी सचिव  थे।

 सीबीआई ने भोला यादव को जमीन के बदले नौकरी वाले केस में गिरफ्तार किया गया था, साथ ही  सीबीआई ने इसी साल 17 अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी।  रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी के बदले पटना में प्रमुख संपत्तियों को लालू के परिवार के सदस्यों को बेची या गिफ्ट में दी गई थी, तथा लालू यादव के रेल मंत्री रहते  रेलवे में पहले अस्थायी तौर पर नियुक्ति कराते थे और फिर जैसे ही जमीन की डील पूरी जाती थी नौकरी को स्थायी कर दिया जाता था, इस तरह से सैकड़ों लोगों और अपने सगे-संबंधियों को नौकरी देने का आरोप लालू यादव पर है।