चित्रकूट की गुप्त गुफाओं में गायब हो जाती है गोदावरी जलधारा

उत्तर प्रदेश में स्थित चित्रकूट
शहर में गुप्त गोदावरी की गुफाएँ हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है, ये कोई
साधारण गुफाएँ नहीं हैं। चित्रकूट
जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी की दूरी पर स्थित ये गुफाएँ प्राकृतिक आश्चर्य और आध्यात्मिक
महत्व दोनों का संगम है। रहस्यमय ढंग से लुप्त हो रही जलधारा एवम कुछ आकर्षक किंवदंतियां
चित्रकूट की इन गुफाओं की यात्रा करने का एक महत्वपूर्ण कारण हैं।
इन गुफाओं से कई रोचक तथ्य
जुड़े हुये हैं। ये जुड़वां प्राकृतिक गुफाएँ जिनमे एक संकरी और एक चौड़ी है, एक आश्चर्यजनक प्राकृतिक घटना है। एक जलधारा जो गुफा के संकरे मार्ग से
होकर बहती है एवम गुफा के अंत की ओर रहस्यमय तरीके से गायब हो जाती है मानो इसे जमीन ने निगल लिया हो। इसी कारण इन गुफाओं को
गुप्त कहा जाने लगा। पौराणिक महाकाव्य रामायण के अनुसार, भगवान
राम और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान यहां कुछ समय के लिए रुके थे और अपना रामदरबार
लगाया था। प्रमाण के रूप में पत्थर के दो नक्काशीदार प्राकृतिक सिंहासन जैसी चट्टानें
मौजूद हैं।
यह भी माना जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम से मिलने के लिए कई देवता
चित्रकूट आए थे। नदी की देवी गोदावरी भी उनसे मिलने आई थीं परन्तु यहाँ आने के लिए
उन्होंने अपना मार्ग बदल लिया था। कहा जाता है कि वह गुप्त रूप से यहाँ गुफाओं में
प्रकट हुई और गुफाओं के बाहर एक पानी के तालाब के समीप जमीन के नीचे गायब हो गई
थी। प्राकृतिक नक्काशी और डिजाइन इस जगह की सुंदरता और रहस्य को बढ़ाते हैं।