स्वदेशी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त बनाने की अवधारणा थी रज्जू भइया की - राज्य उच्च शिक्षा

उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चतुर्थ सरसंघ संचालक प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) एक असाधारण मेधावी व्यक्तित्व के धनी थे।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि रज्जु भइया के आदर्श युवा पीढ़ी को प्रखर बनाते है। कुछ लोग इतिहास पढ़ते है और कुछ लोग उस इतिहास में बताई गई बातों पर चलते है लेकिन कुछ लोगों के व्यक्तित्व ही इतिहास बन जाता है। ऐसे लोगो मे रज्जु भइया थे, जिनका व्यक्तित्व ही इतिहास बन गया है।
उन्होंने कहा कि आदर्श की बात हर कोई कर सकता है लेकिन आदर्श पर चलना और लोगो को भी प्रेरित करने का कार्य रज्जु भइया के द्वारा किया गया। रज्जु भइया के जीवन चरित्र से सीख करके जीवन कौशल की उपादेयता जान सकते हैं। रज्जु भइया आदर्श के प्रतिबिम्ब थे। उन्होंने पद और प्रतिष्ठा से ऊपर राष्ट्र को प्राथिमिकता दी थी। उन्होंने कहा कि रज्जु भइया ने कहा था कि शिक्षा संस्कार विहीन नही होनी चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा को रोजगार, संस्कार और तकनीकी से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।
मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय कल लखनऊ विश्वविद्यालय स्थित चाणक्य सभागार में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चतुर्थ सरसंघ संचालक प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) की जन्म शताब्दी के अवसर पर आयोजित स्मृति व्याख्यान माला 2023 : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ‘जीवन कौशल की उपादेयता‘ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि यह विचार व्यक्त किये। उन्होने कहा कि प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) अपने छात्र जीवन में शिक्षा के प्रति सदैव गभीर रहे। जिसका परिणाम ही है कि वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम0एस0सी0 एवं पी0एच0डी0 की पढ़ाई सफलतापूर्वक की। यही नही रज्जू भैया इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर तथा भौतिक विभाग के प्रमुख के रूप में सफलतम सेवा दी। वह परमाणु भौतिकी के विशेषज्ञ भी थे, सरल और स्पष्ट अवधारणाओं का उपयोग करते हुए इस विषय के एक लोकप्रिय शिक्षक थे।
चतुर्थ सरसंघ संचालक प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) की महत्वपूर्ण मान्यताओं के विषय में जानकारी देते हुए उच्च शिक्षा मंत्री श्री उपाध्याय ने बताया कि उनकी सोच थी कि सभी लोग अच्छे हैं। प्रत्येक व्यक्ति को उसकी अच्छाई पर विश्वास करके व्यवहार करना चाहिए। क्रोध ईष्या आदि उसके पिछले अनुभवों की उपज है, जो उसके व्यवहार को प्रभावित करते है। मुख्य रूप से हर व्यक्ति अच्छा और विश्वसनीय है।
इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि राज्यमंत्री उच्च शिक्षा रजनी तिवारी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चतुर्थ सरसंघ संचालक प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) के कृतिव्व एवं व्यक्तिव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रज्जू भैया एक सच्चे राष्ट्र भक्त थे। उनका संपूर्ण जीवन देश की समर्पित रहा। वह तन-मन-धन सर्वस्व न्योछावर कर राष्ट्र की सेवा की। मंत्री जी ने कहा कि हमे उनके कृतिव्व एवं व्यक्तिव का अनुसरण कर मानसिक दबाव में आने के बजाय अपनी प्रतिभा को पहचान कर आगे बढ़ना चाहिए। यही समय की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि रज्जू भैया जैसे राष्ट्रवादी संत तपस्वी व महान विचारक जो स्वदेशी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की अवधारणा में दृढ़विश्वास रखते थे, उन्होने वर्ष 1995 में कहा था कि गॉव को भूखमुक्त रोगमुक्त और शिक्षाप्रद बनाने में सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आज उनके ग्रामीण के कार्यक्रमों का लोगों द्वारा ग्रामीणांचलों में अनुकरण किया जा रहा है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पूर्व कैबिनेट मंत्री डा0 नरेन्द्र सिंह गौर, विशेष वक्ता वीरेश्वर द्विवेदी तथा कार्यक्रम का अध्यक्षता प्रो0 अलोक राय कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा की गयी।