क्या है मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल और क्यों 16 सितंबर मनाया जाता है विश्व ओज़ोन दिवस

ओजोन परत को नुकसान पहुंचने
वाली विभिन्न गैसों के उत्पादन तथा उपयोग पर रोक लगाने के लिए विश्व के कई देशों ने
मिलकर 16 सितंबर को कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए जिसे
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कहा जाता है, इस समझौते पर अभी तक 197 देशों ने हस्ताक्षर किये
है।
पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित
एक परत जो सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणों को रोकती है, ओजोन परत में छिद्र होने
के कारण जो हानिकारक किरणे पृथ्वी पर आ जाती है इन किरणों से मनुष्यों, जीव जंतुओं
तथा पेड़ पौधों को बहुत नुकसान होता है, ओजोन परत को वाहनों तथा फैक्टरियों से उत्सर्जिंत
होने वाली गैस कार्बन मोनो ऑक्साइड तथा दैनिक उपयोग होने वाले उपकारों जैसे फ्रिज ऐ.सी.
अदि से निकलने वाली क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस नुकसान पहुंचती है।
पृथ्वी के वायुमंडल में क्लोरो
फ्लोरो कार्बन से पराबैंगनी किरणें क्लोरीन गैस को अलग कर देती है तथा अवमुक्त क्लोरीन
ओजोन परत को तोड़ देती है इससे ऑक्सीजन तथा मोनो ऑक्साइड का निर्माण होता है, ओजोन परत
को बचाने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए तथा पर्यावरण को प्रदूषित होने
से बचाना चाहिए।
ओजोन परत को बचाने के लिए
16 सितंबर को मॉन्ट्रियल समझौता हुआ था इसी लिए इस दिन को ओजोन दिवस के रूप में मनाया
जाता है इस साल ओज़ोन दिवस की थीम "पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाला वैश्विक
सहयोग" है।