कंबोडिया में क्यों हो रही हैं, डॉल्फिंस की मौते, बड़ी वजह आयी सामने

वैश्विक जैव
विविधता संकट और संरक्षण की चुनौतियों का एक सबसे बड़ा और स्पष्ट उदाहरण, डॉल्फ़िन की
गिरावट है। तमाम कोशिशों के बावजूद, कंबोडिया की मेकांग डॉल्फ़िन की मौत हो रही है।
बड़े समूहों में काम करते हुए मछली पकड़ने वाले गिरोह रात के समय नदी पर आते हैं और रेंजर उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं करते हैं। नाविक मछली पकड़ने के उन तरीकों का उपयोग करते हैं जो लंबे समय से मेकांग के इस हिस्से में अवैध है। यह सभी मछुहारे गिल नेटिंग का उपयोग करते है। गिल नेटिंग, जो जाल का उपयोग करता है, जो पानी में पर्दे की तरह लटका रहता है और मछली को अपने गलफड़ों से पकड़ लेता है।
राष्ट्रीय स्तर पर सबके प्यारे और चहिते डॉलफिन
जलीय स्तनपायी
डॉलफिन जो इन्फ्राऑर्डर सेटेसिया के भीतर है। वह अब दुर्लभ होते नज़र आ रहे है और यह
बोहोत हे दुःख की बात है। कंबोडिया के सख्त मछली पकड़ने के नियम 2006 में लागू किए
गए थे और यह मेकांग डॉल्फ़िन के भाग्य के लिए महत्वपूर्ण भी है। यह नियम दशकों की आबादी
में गिरावट के बाद इन प्रजातियों को जीवित रहने का मौका देते हैं। 63 वर्षीय सन कोएंग
ने बताया की, हम डॉल्फ़िन को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद भी अपराधी
भी उन्हें पकड़ रहे हैं। उनका कहना है कि अवैध मछली पकड़ने वाले दल रात 11 बजे रिवर
गार्ड्स की शिफ्ट पूरी होने के एक घंटे बाद नदी में जाते हैं। आगे उन्होंने बताया,
डॉल्फ़िन दिखने के लिए लोगों को पानी पर ले जाकर हम एक दिन में 15 डॉलर तक कमा सकते
हैं और अगर हम डॉल्फिंस खो देते हैं, तो कोई आय नहीं होगी।
आपको बता
दे की, मेकांग डॉल्फ़िन इरावदी डॉल्फ़िन का एक उपसमूह है, जो पूरे एशिया में पाई जाने
वाली प्रजाति है। इसका विशिष्ट मुंह इसकी मुस्कुराहट का आभास देता है और इसकी बुद्धिमत्ता
और चंचलता ने मनुष्यों को पीढ़ियों से मंत्रमुग्ध किया है। इतना ही नहीं बल्कि लाओस
और कंबोडिया में नदी समुदाय डॉल्फ़िन को पुनर्जन्म वाले पूर्वजों के रूप में मानते
हैं।
दुःख के साथ
कहना पढ़ रहा है पर आज कंबोडिया में अनुमानित 89 डॉल्फ़िन ही बची हैं। वैज्ञानिकों ने
भी चेतावनी दी है कि कार्रवाई के बिना दस लाख पौधे और पशु प्रजातियां दशकों के भीतर
विलुप्त होने का सामना कर रही हैं।