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हँसी का चटकारा

हँसी का चटकारा

एक बार एक दादा-दादी ने जवानी के दिनों को याद करने का फैसला किया…
अगले दिन दादा फूल ले कर वहीं पहुंचे जहां वो जवानी में मिला करते थे, 
वहां खड़े-खड़े दादा के पैरों में दर्द हो गया लेकिन दादी नहीं आयी,
घर जा कर दादा गुस्से से, “आयी क्यों नहीं?
दादी शर्माते हुए,” मम्मी ने आने नहीं दिया”...
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हस्बैंड  रेडियो पर बड़े ध्यान से कुछ सुन रहा था
वाइफ - क्या सुन रहे हो?
हस्बैंड- मन की बात...
वाइफ- मेरी तो कभी नहीं सुनते...
हस्बैंड- तुम जो कहती हो, उसे मन की बात नहीं
उसे मन की भड़ास कहते है….
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