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मध्याह्न भोजन, अपर्याप्त धन और भुगतान में देरी केरल स्कूलों पर बोझ-Medhaj News

मध्याह्न भोजन, अपर्याप्त धन और भुगतान में देरी केरल स्कूलों पर बोझ-Medhaj News

मध्याह्न भोजन योजना (पूर्व-प्राथमिक से कक्षा 8 के छात्रों तक) केरल के स्कूलों पर भारी पड़ रही है। अपर्याप्त धन और सरकार से विलंबित भुगतान जिसका प्रमुख कारण है। स्कूलों को नवंबर का आंशिक (Partially) बकाया ही मिला है। इसी तरह दिसंबर से महीनों का फंड पेंडिंग है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार 60:40 के अनुपात में फंड में योगदान दे रही हैं। राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र के द्वारा फंड देरी से जारी करना संकट का मुख्य कारण है। 

शिक्षा विभाग का कहना है केंद्र ने आवंटित 292.54 करोड़ रुपये में से केवल 167.38 करोड़ रुपये ही दिये।

केंद्र की नीति के अनुसार सिर्फ खाना देना होता है। हालांकि, केरल में दूध और अंडा शामिल था। विभिन्न स्कूल शिक्षक संघों के अनुसार, वित्त विभाग ने अभी तक दूध और अंडे के अतिरिक्त बोझ को पूरा करने के लिए धन आवंटित नहीं किया है, हालांकि दर संशोधन 2016 में हुआ था। मिड-डे कुक और सहयोगी कर्मचारियों के वेतन भी बाधित है।

आएये जानते है मिड डे मील योजना के बारे में:

 मिड डे मील योजना (Mid-Day Meal Scheme) एक स्कूल फीडिंग प्रोग्राम है, जिसे मद्रास नगर निगम द्वारा 1925 में शुरू किया गया था। मिड डे मील स्कीम एक सुविचारित कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य वंचित बच्चों को प्रतिदिन (दोपहर का भोजन) कम से कम एक पोषण की दृष्टि से पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराना है।

• 1980 के दशक के मध्य तक, यह योजना पूरे तमिलनाडु और केरल, गुजरात और केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी में लागू की गई थी। धीरे-धीरे भारत के कई राज्यों ने इस योजना को लागू किया।

• इस योजना को देश भर में लागू करने के लिए, भारत सरकार ने 15 अगस्त 1995 को एक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की, जिसे प्राथमिक शिक्षा के लिए पोषण सहायता का राष्ट्रीय कार्यक्रम (NP-NSPE) कहा जाता है। बाद में इसका नाम बदलकर स्कूलों में मध्याह्न भोजन (Mid Day Meal) के राष्ट्रीय कार्यक्रम का नाम दिया गया। अब, इसे व्यापक रूप से मध्याह्न भोजन (MDM) योजना के रूप में जाना जाता है।

• 2001 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में पका हुआ मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।