शबरी की भक्ति

शबरी की भक्ति –
शबरी मतंग ऋषि की शिक्षा थी वह विनम्र और भक्ति परायण महिला थी एक दिन मतंग ऋषि ने उनसे कहा "मेरा अंतिम समय निकट आ गया है। तुम इसी आश्रम में रहते हुए भगवान की भक्ति में लगी रहना! एक दिन श्री राम लक्ष्मण सहित यहां आएंगे उन्हें सुग्रीव से मिलवाने की व्यवस्था कर देना" कुछ दिनों बाद मतंग ऋषि ने देह त्याग दिया।
एक दिन लक्ष्मण सहित श्री राम आश्रम में आ पहुंचे। शबरी आत्मनिर्भर होकर उनके चरणों में लोट गई, उन्होंने चुने हुए मीठे मीठे बेर आदि फल उनके सामने रख दिए। श्रीराम स्वाद ले लेकर बेर खाने लगे। शबरी ने हाथ जोड़कर कहा "प्रभु मै पूजा पाठ, मंत्र,जप कुछ नहीं जानती। आप के दर्शन की बाट जोह रही थी"।
श्रीराम ने शबरी से कहा संतों का सत्संग करना, कपट त्याग कर निश्चल हृदय बनना, संयम और शील का पालन करना, सरलता का जीवन जीना, दूसरों के दोष नहीं देखना जैसे गुण नवधा भक्ति के अंग है।
जिस व्यक्ति में इनमें से एक भी गुण होता है, वह मुझे प्रिय होता है।किंतु तुम्हें तो नवधा भक्ति के सभी गुण विद्यमान हैं। मैं स्वयं तुम जैसी भक्तों के दर्शन कर कृतकृत्य हो उठा हूं।