सबसे बड़ा कर्तव्य

सबसे बड़ा कर्तव्य
कहानी: एक राजा पंडितों, विद्वानों से प्रायः प्रश्न किया करते थे कि संसार में सबसे बड़ा कर्त्तव्य क्या है? इस प्रश्न के उत्तर में विद्वानों ने उन्हें अनेक तरह के उत्तर दिए, पर किसी के उत्तर से राजा सन्तुष्ट नही हो पाए।
एक दिन वह शिकार खेलने जंगल में गए। एक जानवर का पीछा करते-करते वह रास्ता भटक गए। भीषण गर्मी के कारण उन्हे तेज प्यास लगी और चक्कर आने लगा।
जंगल में काफी खोज करने के बाद उन्हें एक आश्रम दिखाई पड़ा, जहां एक संत ध्यानस्थ थे। राजा उन्हें पुकारते हुए बेहोश हो गए। होश में आने पर उन्होंने देखा कि संत उनके मुख पर पानी छींटे मार रहे हैं।
राजा ने विनम्रता से कहा- 'भगवन! आप तो समाधि में लीन थे। आपने मेरे लिए समाधि क्यों भंग की?'
संत ने राजा से कहा- 'राजन! आपके प्राण संकट में थे। ऐसे समय में मेरे लिए ध्यान की अपेक्षा आपकी सहायता के लिए तत्पर होना ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य था। समय और परिस्थिति को देखते हुए ही कर्त्तव्य का निर्धारण करना चाहिए। 'उनके इस कथन से राजा की जिज्ञासा शांत हो गई कि सर्वोपरि कर्त्तव्य का निर्णय परिस्थिति को देखकर ही किया जा सकता है।