लाख बंदिशें होने पर भी

लाखों बंदिशों के होने पर भी,
जाँबाज़ कभी रूका नहीं करते,
जीवन के भयंकर तूफानों में भी,
फौलादी कभी गिरा नहीं करते;
जिंदगी तो काफ़िला होती ही है,
गिरने, बिखरने और सिमटने का,
पर किनारों की तटबंधी से भी,
महासागर कभी बँधा नहीं करते;
आत्मबल पर भरोसा करते हैं जो,
वो बात-बात पर शिकवा नहीं करते,
मन स्थिर कर बस आगे बढ़ते हैं जो,
कठिन परीक्षाओं से वो डरा नहीं करते;
चाहे लाख प्रलोभन मिल जाये उन्हें,
अटल इरादों से वो डिगा नहीं करते,
प्रेम से माँगों तो खुद को तज दें वो, पर-
दुनिया के भावों में वो बिका नहीं करते;
वैसे भी इस दुनिया में हर आने वाले का,
जाना भी तो निश्चित होता ही है,
किसी कलाकार के मर जाने भर से,
उसके रचे किरदार कभी मरा नहीं करते।
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----(Copyright@भावना मौर्य "तरंगिणी")----
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