ज़िन्दगी कैसी लगती है-2

ज़िन्दगी कभी लम्बी,
तो कभी छोटी लगती है;
कभी जिम्मेदारियों के सागर में डूबी हुई,
तो कभी खुशियों के नशे में,
मदहोश होती लगती है;
कभी गमों के बोझ से,
बेहोश होती लगती है;
तो कभी मुश्किल हालातों में,
खामोश होती लगती है।
ज़िन्दगी केवल नाम नहीं हैं,
सुख और दुखों का;
इसमें तो समावेश है हर
तरह के अनुभवों का;
ध्यान से सुनकर देखो तो,
ये ज़िन्दगी बहुत कुछ कहती है;
कभी-कभी हार जाती है
हालातों के आगे,
तो कभी-कभी अपनों के लिये
बहुत कुछ सहती है।
ईमानदारी से जीने की चाह रखने वालों को,
ज़िन्दगी न लम्बी लगती है न छोटी लगती है;
उन्हें ईश्वर की दी हुई ये अनमोल नेमत,
बिना किसी शिकवा-शिकायत के,
हर हाल में अच्छी लगती है;
हसरतों का क्या हैं?
वो तो कभी पूरी नहीं होती;
पर संतुष्ट वही हो पाते हैं,
जिनको अपनी कोशिशें सच्ची लगती हैं।
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(Copyright@भावना मौर्य "तरंगिणी")
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