ज़िन्दगी तूने मुझे...

ज़िन्दगी तूने मुझे, हँसाया है - रुलाया है,असली-नकली चेहरों से भी, मुझे रूबरु करवाया है;ये दुनिया जो दिखती है, वो सब नज़रों का धोखा है,यहाँ एक की मजबूरी, दूसरे के लिए मौका है,जाने कितना खोकर मैंने, इस "आज" को पाया है,हर "कल" अब बेहतर होगा, यही कहकर मन भरमाया है,पर जिसे बेहतर कह सकें, वो वक्त न अब तक आया है,फिर भी मैंने अपने मन में, उम्मीदों का दिया जलाया है,ज़िन्दगी तूने मुझे,कितना कुछ बतलाया है,सच है क्या, और झूठ है क्या, फर्क करना सिखलाया है,ज़िन्दगी तूने मुझे, जीने का मर्म समझाया है।
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