मेरे श्याम मोहे रंग दो

मेरे श्याम मोहे रंग दो,तुम अपने जैसे ही दिव्य रंग में,कि तुम ही रहो मेरी वाणी में,और तुम ही बसो मेरे मन में;
तुम ही तो हो, आराध्य मेरे,तुम ही हो, मेरी पूजा-अर्चन में,तुम मेरी साँसों का गुंजन हो,तुम्हीं मेरी चूड़ियों की छन-छन में,
हे नाथ! साथ मेरा देते रहना, तुम जीवन की हर उलझन में,अपने सानिध्य में ले लो अब,न छोड़ो इस जन्म-मृत्यु के संगम में।***** (Copyright@भावना मौर्य "तरंगिणी")
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