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मेरे श्याम मोहे रंग दो

मेरे श्याम मोहे रंग दो

मेरे श्याम मोहे रंग दो,
तुम अपने जैसे ही दिव्य रंग में,
कि तुम ही रहो मेरी वाणी में,
और तुम ही बसो मेरे मन में;

तुम ही तो हो, आराध्य मेरे,
तुम ही हो, मेरी पूजा-अर्चन में,
तुम मेरी साँसों का गुंजन हो,
तुम्हीं मेरी चूड़ियों की छन-छन में,

हे नाथ! साथ मेरा देते रहना, 
तुम जीवन की हर  उलझन में,
अपने सानिध्य में ले लो अब,
न छोड़ो इस जन्म-मृत्यु के संगम में।
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(Copyright@भावना मौर्य "तरंगिणी")

नोट: मेरी पिछली रचना आप इस लिंक के माध्यम से पढ़ सकते हैं-