चंद भावपूर्ण पंक्तियाँ

चंद भावपूर्ण पंक्तियाँ....
(1)न अनाड़ी तू बन, न खिलाड़ी तू बन,अपनी अच्छाईयों से जो जीत ले दिलों को,बस ऐसा ही एक ज़ुआरी तू बन।जिस पर विश्वास करना चाहे सब हरदम,और जिससे बात करने पर दिखे अपने जैसा ही मन,बस बन जा तू वही उजला दर्पण।
(2)बेमतलब की ख्वाहिशों को विराम लगाओ ज़रा,स्वार्थी न बनो, दूसरों के लिए भी मुस्कुराओ ज़रा,खुशियों में तो सब ही अपने नज़र आते हैं,अगर हिम्मत है तो किसी के दुःख में भी,हमदर्द बनकर खड़े नज़र आओ ज़रा।
(3)मन न हो तू उदास,बुरे वक्त की नज़ाकत पर;बड़े-बड़े धराशायी हो जाते हैं,बदलते वक्त की ताकत परबस रख तू हौंसला और,एक दिन खुश होगा तू,अपनी कोशिश करने की आदत पर।
(4)ज्यादा ज़ज्बाती होने के भी बहुत नुकसान हैं,सच और मज़ाक में मुश्किल होती पहचान है;खुद के दुःख से ज्यादा दुःख होता नहीं अब,दुःख तो तब होता है जब लगे किहमारी वजह से कोई शख्स परेशान हैं।हम तो खुशियाँ बाँटना चाहते हैं,सूरज की रोशनी की तरह,पर सबको खुश रखना कहाँ आसान हैं?किसी को उसमे तेज़ उजाला दिखता है,तो किसी को तेज धूप से इंकार है।
(5)कभी-कभी हताशा के दौर भी आते हैं जीवन में,तभी हमें अपनी सहनशक्ति का अंदाजा होता हैं।खुशियों की घड़ियों में जितनी भीड़ दिखती है,मुसीबतों में वही हुजूम आधा होता है।पर जिनका मजबूत इरादा होता है,उनका मंजिल पाने का अवसर भी उतना ही ज्यादा होता है।
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