...और इसलिए कोर्ट ने दे दिया नाबालिगों के खिलाफ 1108 मामले बंद करने का आदेश

नई दिल्ली| अंग्रेज़ी में एक कहावत है – जस्टिस
डिलेड इस जस्टिस डिनाइड...और यह कहावत कुछ हद तक सही भी प्रतीत होती है। उच्च
न्यायालय ने नाबालिगों के खिलाफ चल रहे छोटे-मोटे अपराधों में किशोर न्याय बोर्ड
(बाल न्यायालय) द्वारा सुनवाई पूरी नहीं किए जाने पर 1108 मामलों को तत्काल बंद कर
दिया है।
इसपर दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के
अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि बच्चों पर जिंदगी भर
तलवार नहीं लटक सकती। न्यायालय द्वारा किये गए फैसले के बाद 1108 बच्चों के खिलाफ
मुकदमे बंद हो जाएंगे। वहीं 795 बच्चों के मामलों का फैसला अगली सुनवाई में होगा,
यह
वह मामले हैं जो छह से एक वर्ष के बीच लंबित हैं। इसपर न्यायालय ने आयोग से कुछ
स्पस्टीकरण मांगे हैं, जल्द इनपर भी फैसला होगा।
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मुताबिक,
छोटे-
मोटे अपराध श्रेणी मामलों में कुल 2773 बच्चों पर मुकद्दमे चल रहे हैं। वहीं गंभीर
अपराध श्रेणी मामलों में कुल 1282 बच्चों पर मुकद्दमे और जघन्य अपराध की श्रेणी
में कुल 1683 बच्चों पर मामले चल रहे हैं।
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष
अनुराग कुंडू ने फैसले का स्वागत करते हुए आईएएनएस को बताया कि,
बच्चों
से संबंधित कानून और नीतियां हैं, वो लागू हों हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उच्च
न्यायालय का फैसला लागू हो। कागजों में ही नहीं बल्कि वास्तविकता में भी। इसके
अलावा बहुत जरूरी है यदि किसी बच्चे को रिहैबिलिटेशन की जरूरत है तो हमारा आयोग
उसकी मदद करेगा।
उन्होंने आगे कहा कि,
कोरोना
काल में भी छोटे मोटे मामले बेहद बढ़ गए, अब जिनके ऊपर से मुकदम्मे हटे हैं,
उनकी
जिंदगी फिर से शुरू हो सकेगी। आयोग के मुताबिक, राजधानी की छह किशोर अदालतों में 31
दिसंबर 2020 तक 1320 मामले लंबित थे और यह 30 जून 2021 तक बढ़कर 1903 हो गए। जबकि
ऐसा नहीं होना चाहिए था।
इनमें से छोटे अपराध के 795 मामलों की जांच छह से एक वर्ष के बीच लंबित है और 1108 मामलों की जांच एक वर्ष से ज्यादा से लंबित है। अदालत को बताया गया कि पिछले छह माह में करीब 44 प्रतिशत मामलों की बढ़ोतरी हुई है।