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इग्नू के काउंसलर्स की मांग, मिले सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसा मानदेय

नई दिल्ली| दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉन कॉलेजिएट के शिक्षकों की सैलरी का मुद्दा अब भी जारी है। इसी बीच इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी ( इग्नू ) के एकेडमिक काउंसलर का मुद्दा सामने आया है। 


एकेडेमिक काउंसर का कहना है कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों को यूजीसी गाइडलाइंस के अनुसार फरवरी 2019 से हर लेक्चर के लिए 1500 रुपये का भुगतान होता है। वहीं इग्नू में एकेडेमिक काउंसलर को स्नातकोत्तर (एमए, एम.कॉम) की कक्षाएं लेने वाले काउंसलर को दो घंटे के 1100 रुपये और 330 रुपये कन्वेंस के दिए जाते है।


स्नातक डिग्री (बीए, बी कॉम) के एकेडमिक काउंसलर को 770 रुपये दो घंटे के और 330 रुपये कन्वेंस के दिए जाते है। एक सेंटर के काउंसलर ने बताया है कि कोरोना के कारण ऑन लाइन क्लासेज होने से इन काउंसलरों को कन्वेंस राशि नहीं दी जा रही है । इसके कोडिनेटर को प्रति माह 6600 रुपये, असिस्टेंट कोडिनेटर को 4620 रुपये प्रति माह व संस्थान के मुखिया, प्रिंसिपल को 4950 रुपये मिलते है।

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के अध्यक्ष डॉ हंसराज सुमन का कहना है कि दो अलग-अलग केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षकों के मानदेय को लेकर यह विसंगति क्यों? कई कॉलेजों के शिक्षकों ने जो इग्नू में कक्षाएं ले रहे है, इस तरह के भेदभाव को लेकर चिंता जताई है।

उनका कहना है कि डीयू के एसओएल, नॉन कॉलेजिएट वूमेंस एजुकेशन बोर्ड व नियमित कॉलेज के शिक्षकों की कक्षाएं एक घंटे की है जबकि इग्नू में एकेडमिक काउंसलर की कक्षा दो घंटे की है। प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि इग्नू में एकेडमिक काउंसलर होते है जबकि डीयू में इन्हें गेस्ट टीचर्स कहा जाता है, दोनों का कार्य पढ़ाना है।

बता दें कि दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में इग्नू के टीचिंग सेंटर 70 से अधिक है, नॉन कॉलेजिएट के 26 सेंटर और एसओएल के लगभग 20 सेंटर चल रहे है। इग्नू सेंटर पर पढ़ाने वाले वहां के शिक्षकों के अलावा इग्नू के रीजनल डायरेक्टर के यहां से नियुक्ति होती है।

डॉ सुमन ने बताया है कि यूजीसी ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलसचिव को एक सर्कुलर भेजा था जिसमें अतिथि शिक्षकों के मानदेय की बढ़ोतरी 28 जनवरी 2019 से की गई थी। इस सर्कुलर में हर लेक्चर के 1500 रुपये और एक महीने में अधिकतम 50 हजार रुपये अतिथि शिक्षकों को दिए जा सकते है।

एसओएल और नॉन कॉलेजिएट, नियमित कॉलेजों में प्रति लेक्चर 1500 का भुगतान होता है लेकिन इग्नू ने उसे अभी तक लागू नहीं किया है। इस कारण यहां पढ़ाने वाले काउंसलर में गहरा रोष व्याप्त है। शिक्षकों ने इसे यूजीसी नियमों का उल्लंघन बताया है।

उनका कहना है कि जिस दिन से अतिथि शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी हुई है उसी दिन से उनकी बकाया राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। डीटीए ने गेस्ट टीचर्स गाइड लाइन को लागू करते हुए एकेडमिक काउंसलर का मानदेय दिल्ली विश्वविद्यालय के बराबर करने की मांग इग्नू के कुलपति से की है।

गौरतलब है कि इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) डीयू का हिस्सा नहीं है। इनकी क्लॉसेज व सेंटर डीयू के विभिन्न कॉलेजों में खुले हुए हैं। यूजीसी नियमों का पालन शिक्षकों की नियुक्तियों व पदोन्नति में सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक समान है। इसलिए शिक्षकों का कहना है कि जब यूजीसी द्वारा मानदेय में बढ़ोतरी हुई है तो इग्नू सेंटर को भी बढ़ाना चाहिए।


उनका कहना है जबकि सातवें वेतन आयोग में शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी हुई थी लेकिन इग्नू के एकेडमिक काउंसलर को आज भी पुराने रेट से ही मानदेय दिया जा रहा है। उन्होंने इग्नू के कुलपति से मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दिए जा रहे अतिथि शिक्षकों को मानदेय वह अपने इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी ( इग्नू ) में भी लागू करें।


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