दिल्ली

BJP Foundation Day: भाजपा के 42वें स्थापना दिवस पर JP नड्डा ने Delhi में फरहाया पार्टी का झंडा

नई दिल्ली | भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ( JP Nadda ) ने पार्टी के 42वें स्थापना दिवस (  BJP Foundation Day ) के अवसर पर भाजपा मुख्यालय दिल्ली में पार्टी का झंडा फरहाया। भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) भारत का एक प्रमुख राजनीतिक दल है। 2016 के अनुसार भारतीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में यह भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा दल है।

इस मौके पर जे.पी. नड्डा ने कहा, आज स्थापना दिवस के मौके पर मैं उन सभी कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करता हूँ, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी रूपी नन्हें से पौधे को अपने खून और पसीने से सींच कर एक वृक्ष बनाया।आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने अपनी दूरदर्शी सोच से उस वृक्ष को विशालकाय वट वृक्ष बना दिया है।

ऐसे बनीं BJP सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी

भारतीय जनता पार्टी का मूल श्यामाप्रसाद मुखर्जी ( Shyamaprasad Mukherjee ) द्वारा 1951 में निर्मित भारतीय जनसंघ है। 1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण हेतु जनसंघ अन्य दलों के साथ विलय हो गया। इससे 1977 में पदस्थ कांग्रेस पार्टी को 1977 के आम चुनावों में हराना सम्भव हुआ। तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद 1980 में जनता पार्टी विघटित हो गई और पूर्व जनसंघ के पदचिह्नों को पुनर्संयोजित करते हुये भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) का निर्माण किया गया। यद्यपि शुरुआत में पार्टी असफल रही और 1984 के आम चुनावों में केवल 2 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही। 

इसका बड़ा कारण1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के कारण उनके बेटे राजीव गांधी को सहानुभूति की लहर थी। इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी। कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये 1996 में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। 

अटल बिहारी वाजपेयी BJP के प्रथम अध्यक्ष

भारतीय जनता पार्टी 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद नवनिर्मित पार्टियों में से एक थी। यद्यपि तकनीकी रूप से यह जनसंघ का ही दूसरा रूप था, इसके अधिकतर कार्यकर्ता इसके पूर्ववर्ती थे और अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) को इसका प्रथम अध्यक्ष बनाया गया। इतिहासकार रामचंद्र गुहा लिखते हैं कि जनता सरकार के भीतर गुटीय युद्धों के बावजूद, इसके कार्यकाल में RSS के प्रभाव को बढ़ते हुये देखा गया जिसे 1980 के पूर्वार्द्ध की सांप्रदायिक हिंसा की एक लहर द्वारा चिह्नित किया जाता है। इस समर्थन के बावजूद, भाजपा ने शुरूआत में अपने पूर्ववर्ती हिन्दू राष्ट्रवाद का रुख किया इसका व्यापक प्रसार किया। उनकी यह रणनीति असफल रही और 1984 के लोकसभा चुनाव में BJP को केवल दो लोकसभा सीटों से संतोष करना पड़ा। चुनावों से कुछ समय पहले ही इंदिरा गांधी ( Indira Gandhi ) की हत्या होने के बाद भी काफी सुधार नहीं देखा गया और कांग्रेस रिकार्ड सीटों के साथ जीत गई।

1984 में लाल कृष्ण आडवाणी पार्टी के अध्यक्ष नियुक्त

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली उदारवादी रणनीति अभियान के असफल होने के बाद पार्टी ने हिन्दुत्व और हिन्दू कट्टरवाद का पूर्ण कट्टरता के साथ पालन करने का निर्णय लिया। 1984 में लाल कृष्ण आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उनके नेतृत्व में भाजपा राम जन्मभूमि आंदोलन की राजनीतिक आवाज बनी।1980 के दशक के पूर्वार्द्ध में विश्व हिन्दू परिषद ( VHP ) ने अयोध्या में बाबरी ढांचा के स्थान पर हिन्दू देवता राम का मंदिर निर्माण के उद्देश्य से एक अभियान की शुरूआत की थी। यहां मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह बाबर ने करवाया था और इसपर विवाद है कि पहले यहां मंदिर था।

आंदोलन का आधार यह था कि यह क्षेत्र रामजन्मभूमि है और यहां पर मस्जिद निर्माण के उद्देश्य से बाबर ने मंदिर को ध्वस्त करवाया। भाजपा ने इस अभियान का समर्थन आरम्भ कर दिया और इसे अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाया। आंदोलन की ताकत के साथ भाजपा ने 1989 के लोक सभा चुनावों 86 सीटें प्राप्त की और समान विचारधारा वाली नेशनल फ्रॉण्ट की विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार का महत्वपूर्ण समर्थन किया।

बाबरी ढांचे के विध्वंस

सितंबर 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी ( Lal Krishna Advani ) ने राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में अयोध्या के लिए ‘रथ यात्रा’आरम्भ की। यात्रा के कारण होने वाले दंगो के कारण बिहार सरकार ने लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया लेकिन कारसेवक और संघ परिवार कार्यकर्ता फिर भी अयोध्या पहुंच गये और बाबरी ढांचे के विध्वंस के लिए हमला कर दिया। इसके परिणामस्वरूप अर्द्धसैनिक बलों के साथ घमासान लड़ाई हुई जिसमें कई कर सेवक मारे गये। BJP ने विश्वनाथ प्रतापसिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और एक नये चुनाव के लिए तैयार हो गई। इन चुनावों में भाजपा ने अपनी शक्ति को और बढ़ाया और 120 सीटों पर विजय प्राप्त की और उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी।

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