स्वतंत्रता सेनानी और एक कवयित्री- सरोजिनी नायडू

आज
आपको एक महान स्वतंत्रता सेनानी और कवयित्री के बारे मैं बताते हैं । जिनका
नाम सरोजनी नायडू हैं । जिनको भारत की कोकिला (the Nightingale of India) भी
कहा जाता हैं । उनको यह नाम महात्मा गाँधी ने दिया था । सरोजनी का जन्म
13 फरवरी, 1879 को एक बंगाली परिवार में हैदराबाद में हुआ । इनकी माता का नाम
वारद सुन्दरी देवी तथा पिता का नाम डॉ अघोरनाथ चटोपाध्या था । उनके पिता एक
वैज्ञानिक व डॉक्टर थे तथा माता एक लेखिका थी, जो बंगाली में कविता लिखा करती थी ।
सरोजनी
जी आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। उन्होंने 1891 मैट्रिक परीक्षा केवल बारह वर्ष की
आयु में उत्तीर्ण कर ली थी कुकी उन्हें विश्वविद्यालय के अध्ययन के लिए अर्हता प्राप्त
करने के लिए। इंग्लैंड में 1895 में पहले किंग्स कॉलेज और उसके बाद गिर्टन कॉलेज, कैम्ब्रिज
में दाखिल हुई। इंग्लैंड में 3 साल रहने के बाद वे 1898 में वापस भारत आ गई। इंग्लैंड
में, वह सौंदर्यशास्त्र और पतनशील आंदोलनों के कलाकारों से मिलीं। उसने कुछ समय के
लिए यूरोप की यात्रा की।
सरोजनी
जी की शादी दूसरी कास्ट में 19 साल की उम्र में 1897 पढाई ख़त्म करने के बाद डॉ गोविन्द
राजुलू नायडू से हुई थी । वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी,
बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ
उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था। सरोजिनी नायडू जी की प्रसिद्ध कविताओं
में दमयन्ती टू नाला इन द आवर ऑफ एक्साइल, एक्स्टेसी, इंडियन डांसर, द इंडियन, इंडियन
लव-सॉन्ग, इंडियन वेवर्स, दि फारेस्ट, राममुराथम, नाइटफॉल सिटी इन हैदराबाद, पालक्विन
बेयरर्स, सती, द सोल प्रेयर, स्ट्रीट क्राइज आदि शामिल है. जोकि उस समय बहुत अधिक लोकप्रिय
थी।
सरोजिनी
जी 1925 में कानपुर से इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष बनने के लिए खड़ी हुई और जीत
कर पहली महिला अध्यक्ष बन गई और उत्तर प्रदेश की गवर्नर बनी थी। इन्होने 1942 में गाँधीजी
के भारत छोड़ो आन्दोलन में मुख्य भूमिका निभाई इसी आन्दोलन के दौरान उन्हें गांधीजी
के साथ 21 महीनों तक जेल में भी डाला गया।