खिलाड़ियों पर लीग क्रिकेट हावी

इस समय हर
देश के खिलाड़ी लीग क्रिकेट खेलने के लिए तैयार रहते हैं। खिलाडियों पर फ्रेंचाइजी बेस्ड
टी-20 लीग का असर हो
रहा है। खिलाड़ी अब टी-20 लीग
के लिए अपने देश के क्रिकेट बोर्ड
का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने को भी तैयार
हैं। FICA ने खिलाड़ियों को
लेकर एक सर्वे किया
जिसमे 49 % खिलाड़ी अपने देश के क्रिकेट बोर्ड
का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट छोड़ने को तैयार हैं।
सर्वे
में जो बात निकल
कर सामने आयी उसके अनुसार 49% क्रिकेटर्स का मानना है
कि वे IPL, BBL जैसी फ्रेंचाइजी लीग खेलने के लिए देश
का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट भी रिजेक्ट कर
सकते हैं। अगर उन्हें इन लीग में
अपने देश से ज्यादा पैसा
मिले तो वे लीग
खेलेना ही पसंद करेंगे।
न्यूजीलैंड
के ट्रेंट बोल्ट ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट
को ठुकरा दिया था। इसी वजह से उन्हें भारत
के खिलाफ वनडे और टी-20 सीरीज
में टीम का हिस्सा नहीं
बनाया गया। मार्टिन गुप्टिल अपनी फॉर्म की वजह से
भारत के खिलाफ टीम
में नहीं चुने गए थे। वो
भी इस समय लीग
क्रिकेट खेलने के लिए चले
गए।
कुछ
खिलाडियों का मानना है
कि इस समय इंटरनेशनल
क्रिकेट बहुत ज्यादा खेला जा रहा है।
इंटरनेशनल क्रिकेट खेलनी की एक लिमिट
होनी चाहिए। इस वजह से कुछ खिलाड़ियों
ने टेस्ट या वनडे फॉर्मेट
में खेलना छोड़ दिया है।
कुछ
खिलाड़ियों का कहना है
कि क्रिकेट उनके लिए परमानेंट करियर नहीं हो सकता। इसी
लिए उन्हें अपने भविष्य का भी ध्यान
रखना होता है। खिलाड़ियों को डर भी
है कि अगर फॉर्म
नहीं रहा तो उनका कॉन्ट्रेक्ट
आगे नहीं बढ़ेगा और उन्हें फाइनेंसियल दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
कुछ खिलाड़ियों का कहना है
कि क्रिकेटर्स को उनके देश
केवल 12 महीने का ही कॉन्ट्रेक्ट
देते हैं।
वेस्टइंडीज
ने आंद्रे रसेल और सुनील नरेन
जैसे खिलाड़ियों को टीम में
शामिल नहीं किया था। इसकी वजह से वेस्टइंडीज ने
टी-20 वर्ल्ड कप के सुपर-12
स्टेज में क्वालिफाई नहीं कर सका था।
बोर्ड ने इन खिलाड़ियों
को टीम में जगह नहीं देने को लेकर कहा
था कि ये खिलाड़ी
विदेशी लीग खेलने के लिए देश
को प्राथमिकता नहीं देते। इसीलिए उन्हें टीम में नहीं चुना गया।