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जेनेवा में 30 नवंबर से होने जा रही है WTO की बैठक, भारत के तरफ ये प्रमुख मांग

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से पूरी दुनिया का काफी क्षति पहुंची है। किसी ने आर्थिक मंदी झेली तो किसी ने अपनो को खोया। कोरोना वायरस के शुरुआती प्रसार के दौरान किसी भी देश के पास इसके इलाज के लिए वैक्सीन नहीं था। हालांकि, अब तो इस बिमारी से लड़ने के लिए कई देशों ने वैक्सीन इजात कर लिए हैं। इसी क्रम में 30 नवंबर से डब्ल्यूटीओ (WTO) के शीर्ष संगठन की बैठक होने जा रही है।

 

विश्व को कोरोना से मुक्त करने के लिए सबसे जरूरी चीज वैक्सीन की उपलब्धता आसान बनाने के लिए भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में वैक्सीन उत्पादन से जुड़े संपदा अधिकार में छूट देने के मुद्दे को फिर से उठाएगा।

 

भारत ने पिछले साल दक्षिण अफ्रीका के साथ मिलकर वैक्सीन की वैश्विक पहुंच को आसान करने के लिए ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्ट्स आफ इंटेलेक्चुअल प्राापर्टी राइट्स (ट्रिप्स) से जुड़े डब्ल्यूटीओ के समझौते में अस्थायी रूप से छूट देने की गुजारिश की थी ताकि छोटे व विकासशील देशों में वैक्सीन का उत्पादन किया जा सके और सभी को वैक्सीन की डोज दी जा सके लेकिन यूरोपीय देशों के साथ अन्य विकसित देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था जिसके चलते कोई फैसला नहीं हो सका था।

 

वैक्सीन बनाने वाली विकसित देशों की कंपनियों को इस प्रकार की छूट से उनके मुनाफे पर असर पड़ने का डर है। 100 विकासशील देश भारत के इस प्रस्ताव का साथ दे रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि जेनेवा में होने वाली डब्ल्यूटीओ की बैठक में इस मसले पर कोई फैसला जरूर होगा।

 

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक भारत के एजेंडे में यह प्रमुख विषय है। वैक्सीन का उत्पादन फिलहाल दुनिया के सीमित देशों में हो रहा है और दुनिया के दर्जनों देश महंगी वैक्सीन खरीदने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में उन्हें सस्ती वैक्सीन की जरूरत है।

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