निकाय चुनाव को लेकर योगी आदित्यनाथ के नाम हो सकता है एक और रिकॉर्ड!
उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में दूसरे चरण के मतदान को लेकर बीजेपी शिद्दत से प्रचार में जुटी हुई है। हर बार बीजेपी के लिए चुनाव में मनमुताबिक नतीजे यूं ही नहीं आ जाते। अच्छे नतीजों के लिए दिन-रात की मेहनत काम आती है। सालों से योगी आदित्यनाथ यही काम करते चले आ रहे हैं। तब भी जब उनको अपनी जीत सुनिश्चित दिखाई देती हो। गोरखपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने नगरीय निकाय के एक चुनाव में 74 जनसभाएं करके भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में बाजी पलट दी थी।
ये शिद्दत उन्होंने तब दिखाई थी जब उनको लगता था कि मेयर बीजेपी का ही बनेगा। उत्तर प्रदेश के नगरीय निकाय चुनावों में सीएम योगी अब भी यही करते नजर आ रहे हैं। प्रदेश की कमान अपने हाथ में लेने के बाद चुनाव दर चुनाव वह इसी मेहनत और लगन से प्रचार में जुटे दिखाई दे रहे हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि नगर निकाय चुनाव के पहले चरण के दौरान योगी ने 28 जनसभाएं और सम्मेलन किये थे। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने 37 जिलों में से करीब दो दर्जन जिलों में जनसभाएं की थीं। जिन 10 शहरों में नगर निगम के चुनाव होने थे उन सब में वह खुद पहुंचे थे।
दूसरे चरण के प्रचार की संभाली कमान
योगी आदित्यनाथ की लगन इसी से जान पड़ती है कि उन्होंने पहले चरण में वोट डालने के तुरंत बाद दूसरे चरण के प्रचार की कमान संभाल ली थी। पहले चरण का मतदान 4 मई को सम्पन्न हुआ। सीएम योगी अपने गृह जनपद गोरखपुर में मतदान के तुरंत बाद दूसरे चरण के प्रचार के लिए सिद्धार्थनगर, बस्ती, सुल्तानपुर और अयोध्या के तूफानी दौरे पर निकल गए। वहीं अगले दिन की बात करें तो, शुक्रवार यानी 5 मई को उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर, मेरठ और गाजियाबाद का तूफानी दौरा किया। शनिवार को अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक वह बतौर बीजेपी के स्टार प्रचारक कर्नाटक विधानसभा के लिए चुनावी दौरे पर पहुंचे।
दूसरे चरण के चुनाव को लेकर दौरे प्रस्तावित
वहीं, दूसरे चरण के निकाय चुनावों के मद्देनजर उनके दौरों का कार्यक्रम पहले से ही प्रस्तावित है। इस क्रम में 8 मई सोमवार को बाराबंकी, मीरजापुर और अयोध्या एवं 9 मई मंगलवार को कानपुर, बाँदा एवं चित्रकूट में उनकी चुनावी सभाएं प्रस्तावित हैं।जबकि, माना जा रहा है कि दूसरे चरण का प्रचार पूरा होने के बाद जब उनके इस चुनाव को लेकर दौरों की गिनती होगी तो यह खुद में एक रिकॉर्ड हो सकता है। हर चुनावी सभा में बीजेपी शासनकाल में हुए स्थानीय स्तर पर विकास कार्य, इन विकास कार्यों को तेज गति देने के लिए लोगों से ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने का अनुरोध होता है। हर चुनाव की तरह सुशासन एवं विकास के लिए अपराध एवं भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति का असरदार तरीके से जिक्र जरूर किया जाता है।
योगी के तूफानी प्रचार के आगे विपक्ष बेबस
अगर बात करें प्रमुख विपक्षी दलों की तो कांग्रेस का नेतृत्व इन चुनावों में कहीं नजर ही नहीं आ रहा है। बीएसपी ने समन्वय की सारी जिम्मेदारी मंडलीय समन्वयकों के सर पर डाल दी हैं। पार्टी की मुखिया मायावती को अब भी उम्मीद है कि दलित वोट तो उनके पाले में ही आएगा। उनको लगता है कि मुस्लिम मिल जाएं तो उनकी पार्टी कुछ बेहतर कर सकती है। इसी उम्मीद में उन्होंने 17 नगर निगमों में 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया। वहीं अगर बात करें सपा की तो इसके मुखिया अखिलेश यादव का उनका प्रचार लखनऊ में मेट्रो तक ही सीमित रहा। अखिलेश गोरखपुर और सहारनपुर भी गये, लेकिन सिर्फ उन्होंने रस्म अदायगी के तौर पर दौरा किया। ऐसा इस लिये क्योंकि, वह प्रचार के लिए अंत में दौरे पर निकले।