नेशनल मेडिकल कमीशन के नए नियमों के मुताबिक अब डॉक्टरों को प्रिस्क्रप्शन में जेनेरिक दवाएं लिखनी होंगी। आसान भाषा में कहें तो बीमारी के लिए मरीज को क्या फॉर्मूला लेना है, न कि किसी ब्रांड की दवा का नाम। ऐसा न करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई होगी। यहां तक की कुछ समय के लिए उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
एनएमसी ने प्रोफेशनल कंडक्ट ऑफ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर रेगुलेशन जारी किया है जिसमें बताया गया कि इंडियन मेडिकल काउंसिल की ओर से 2002 में जारी नियमों में ऐसे मामलों में सजा देने का जिक्र नहीं था। एनएमसी के रेगुलेशन के मुताबिक देश में लोग अपनी कमाई का खर्च कर रहे हैं। जिसमें बड़ी राशि सिर्फ दवाओं पर खर्च की जा रही है। रेगुलेशन में कहा गया कि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड मेडिसन की तुलना में 30% से 180% तक सस्ती हैं। ऐसे में अगर डॉक्टर मरीजों को प्रिस्क्रप्शन में जेनेरिक दवाएं लिखेंगे तो हेल्थ पर होने वाले खर्च में कमी आएगी।