राज्यउत्तर प्रदेश / यूपी

प्रदेश के सभी जनपदों में भूजल सप्ताह के अन्तर्गत विभिन्न जल-जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन

भूगर्भ जल संरक्षण एवं संवर्धन पर जागरूकता के लिए प्रत्येक वर्ष की भॉंति इस वर्ष भी 16 से 22 जुलाई, 2023 तक प्रदेश के सभी जनपदों में भूजल सप्ताह के अन्तर्गतविभिन्न जल-जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में भूजल सप्ताह के चतुर्थ दिवस पर‘‘भूजल अधिनियम 2019‘‘ के नोटिफिकेशन के लगभग 5 वर्ष पूर्ण होने पर सभी हितभागियों के साथ विचार-विमर्श कर क्रियान्वयन सम्बन्धी चुनौतियों एवं प्रभावी विनियमन हेतु सुझाव प्राप्त करने के लिए  Multistakeholder Reflection Workshop-5 Years of The Uttar Pradesh Ground Water (Management & Regulation) Act 2019 पर मुख्यालय में आज वाटर ऐड के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य रूप से केंद्रीय भूजल बोर्ड, राज्य भूगर्भ जल विभाग के विषय विशेषज्ञों एवं प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक इकाइयों, रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, निर्माण क्षेत्र, सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सहभागिता की।

कार्यशाला के प्रारम्भ में वी0के0 उपाध्याय, निदेशक भूगर्भ जल द्वारा सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया गया तथा अपने वक्तव्य मेें रेखांकित किया कि सरकार द्वारा जनहित में लाए गए किसी भी कानून का अनुपालन बिना हितधारकों के सहयोग के सम्भव नही है। विभाग द्वारा यह पहल इसी दिशा में एक प्रयास है। कार्यशाला में सहयोगी वाटर-एड फाउन्डेशन के स्टेट प्रोग्राम कोआर्डिनेटर फर्रूख रहमान खानने कहा कि उत्तर प्रदेश उन अग्रणी राज्यों में से है, जिसने केन्द्र सरकार द्वारा अनुमोदित बिल के अनुरूप राज्य में अधिनियम बनाने की पहल की है। इस कार्यशाला के माध्यम से इस अधिनियम का क्रियान्वयन कैसे बेहतर किया जा सकता है, इस हेतु सुझाव प्राप्त हो सकते हैं।

इसके उपरान्त अनुपम, स्टेट नोडल अधिकारी, भूजल एक्ट (प्रबन्धन और विनियमन) 2019 ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अधिनियम के प्रमुख बिन्दुओं एवं कार्यान्वयन के वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला।औद्योगिक इकाई क्षेत्र से प्रख्यात किंग इण्टरनेशनल, श्री राम फाउन्डेशन द्वारा भूजल कानून 2019 के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों एवं सुझाव दिए। कार्यशाला के दौरान इसके संस्थागत एवं इसके कानूनी पक्ष पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं पर्यावरण कानून विशेषज्ञ श्री शवाहिक सिद्धकी द्वारा भी प्रकाश डाला गया तथा अन्य राज्यों से तुलनात्मक चर्चा कर सुझाव दिए गये। पर्यावरणविद् डा0 वेंकटेश दत्ता ने सभी प्रतिभागियों के सम्बोधन को संकलित कर प्रस्तुत किया।

कार्यशाला के अन्त में राजेश पाण्डेय,विशेष सचिव, नमामि गंगे ग्रामीण जलापूर्ति विभागने भूजल के गिरते स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए कहा जिन चीजो की बहुतायत होती है उस पर चिन्तन नही होता, किन्तु पिछली कुछ रिपोर्टस के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि देश एवं प्रदेश के कुछ स्थानों पर भूजल का संकट गहराता जा रहा है एवं जल सन्तुलन बिगड़ रहा है अतः यह आवश्यक हो गया है कि भूजल के प्रबन्धन एवं उपयोग पर सभी हितधारक न्यायसंगत तरीके से जल का उपयोग एवं प्रबन्धन करें। राजेश पाण्डेय ने कहा आज की कार्यशाला के मन्थन से जो सुझाव आये है उनका संकलन किया जायेगा, तथा उसकी रिर्पोट शासन से सांझा कि जाए ताकि उनका उपयोग भविष्य के भूजल कानून को बेहतर बनाने के लिए किया जा सके।

कार्यक्रम के अन्त में अनुपम, अधिशासी अभियन्ता, भूगर्भ जल विभाग,ने सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विश्वास दिलाया गया कि उनके द्वारा साझा किये गये प्रासंगिक सुझावों को विभाग द्वारा अमल में लाने का प्रयासकिया जाएगा।

’’यह संकल्प निभाना है, हर एक बूँद बचाना है।।’’

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