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अमेरिका और भारत के अभूतपूर्व विश्वास के बीच वॉल स्ट्रीट जर्नल को पीएम मोदी का साक्षात्कार-मेधज़ न्यूज़

मोदी ने अमेरिका की अपनी पहली राजकीय यात्रा से पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि भारत एक उच्च, गहरी और व्यापक प्रोफ़ाइल और एक भूमिका का हकदार है।

मोदी ने अमेरिकी अखबार से कहा कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानून के शासन का पालन करने और मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में हमारा मूल विश्वास है। साथ ही भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना हुए, पीएम मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन ने आमंत्रित किया था, यह यात्रा न्यूयॉर्क में शुरू होगी जहां प्रधानमंत्री 21 जून को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व करेंगे।

मैं स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाला पहला प्रधान मंत्री हूं, और इसलिए मेरी विचार प्रक्रिया, मेरा आचरण, मैं जो कहता और करता हूं, वह मेरे देश की विशेषताओं और परंपराओं से प्रेरित और प्रभावित है। मैं इससे अपनी ताकत प्राप्त करता हूं, मेरा देश दुनिया के सामने वैसे ही पेश करे जैसा मेरा देश है ।

हम भारत को किसी देश की जगह लेने के रूप में नहीं देखते हैं, हम इस प्रक्रिया को भारत द्वारा विश्व में अपना सही स्थान प्राप्त करने के रूप में देखते हैं। आज दुनिया पहले से कहीं अधिक परस्पर जुड़ी हुई और अन्योन्याश्रित है। लचीलापन बनाने के लिए, आपूर्ति श्रृंखलाओं में और अधिक विविधीकरण होना चाहिए ।

चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन जरूरी है, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानून के शासन का पालन करने और मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में हमारा मूल विश्वास है। साथ ही भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है। सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। विवादों को कूटनीति और संवाद से सुलझाया जाना चाहिए ।

भारत एक अधिक उच्च, गहरी और व्यापक प्रोफ़ाइल और एक भूमिका का हकदार है, हम भारत को किसी देश की जगह लेने के रूप में नहीं देखते हैं। हम इस प्रक्रिया को भारत द्वारा विश्व में अपना सही स्थान प्राप्त करने के रूप में देखते हैं। आज दुनिया पहले से कहीं अधिक परस्पर जुड़ी हुई और अन्योन्याश्रित है। लचीलापन पैदा करने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक विविधीकरण होना चाहिए।

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