उत्तर प्रदेश / यूपी
PM मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का 13 दिसंबर को करेंगे उद्घाटन, दुनिया देखेगी खूबसूरती
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) का निर्माण कार्य लगातार युद्ध स्तर पर लगातार जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इसका लोकार्पण अपने दो दिवसीय काशी दौरे पर 13 दिसंबर को करेंगे। पीएम के उद्घाटन से पहले गंगा घाट और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को जोड़ने वाले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जिस तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने अपने दौरे पर अफसरों को निर्माण कार्य सीमा में पूरा करने के सख्त निर्देश जारी किए थे, उसी स्तर पर संस्था लगातार कॉरिडोर का निर्माण कार्य कर रही है।
पर्यटकों के लिए होगा आकर्षण का केंद्र
वाराणसी में 50 हजार वर्ग मीटर में तैयार हो रहे काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर में 63 ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगे। इन मंदिरों के इतिहास और महत्व को भक्तों तक पहुंचाने के लिए मंदिर प्रशासन एक खास तरह का एप्लीकेशन तैयार करा रहा है, जिसके जरिए कॉरिडोर में प्रवेश करते ही भक्त इन मंदिरों का इतिहास जान सकेंगे।
लोगों ने की कॉरिडोर की तारीफ
विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने पहुंचे एक साधु ने बताया यह एक ऐतिहासिक काम है, जिसके लिए वह नरेंद्र मोदी को लगातार धन्यवाद कर रहे हैं। ऐसा काम पिछली सरकारों ने कभी नहीं सोचा था। वहीं दिल्ली-नोएडा से पढ़ाई के लिए वाराणसी पहुंचे नौजवानों के मुताबिक भी काशी की व्यवस्था अब दिल्ली से काफी बेहतर है। साफ-सफाई शौचालय समेत तमाम व्यवस्थाओं को लेकर नौजवानों का कहना है कि अब काशी दिल्ली से बेहतर हो रही है। उम्मीद है कि आने वाले समय में काशी पहुंचने वाले हर सैलानियों और पर्यटकों को इससे भी अधिक सुविधाएं मिलेंगी। तमाम पर्यटक, नौजवान, बुजुर्ग और काशीवासी इस चीज को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ का शुक्रिया कर रहे हैं।
साल 2018 में शुरू हुई थी परियोजना
पीएम ने साल 2018 में अपने संसदीय क्षेत्र में 400 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की थी। इसके तहत मौजूदा विरासत को संरक्षित करना, PPP मॉडल के तहत मंदिर परिसर में नई सुविधाएं देना, मंदिर के आसपास के लोगों के आवागमन और आवाजाही को आसान बनाना साथ ही विश्वनाथ मंदिर को सीधे घाटों से जोड़ने की यह योजना है। कॉरिडोर के काम के दौरान सैकड़ों छोटे मंदिर मिले थे, जिन्हें संरक्षित कर एक गलियारे का हिस्सा बना गया है।