मनोरंजन

कहानी-क्योंकि तुम एक भारतीय हो (अंतिम भाग)

नोट:- इस कहानी के पहले से प्रकाशित भागों को आप निचे लिखे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:
भाग-1: https://medhajnews.in/news/entertainment/poem-and-stories/because-you-are-an-indian

भाग-2: https://medhajnews.in/news/entertainment/poem-and-stories/because-you-are-an-indian-P2

भाग-3: https://medhajnews.in/news/entertainment/poem-and-stories/because-you-are-an-indian-P3

भाग-4: https://medhajnews.in/news/entertainment/poem-and-stories/because-you-are-an-indian-P4

भाग-5: https://medhajnews.in/news/entertainment/poem-and-stories/because-you-are-an-indian-P5

अब आगे की कहानी……….
डैड की आँखे नम हो चली थी सुकन्या माँ की बातें सुनकर और शायद उन्हें अफसोस भी ही रहा था अपनी गलती का कि वो हीरा छोड़कर काँच के टुकड़ों के पीछे भाग रहे थे।
पर फिर भी माँ ने उनसे कोई शिकायत नहीं की बल्कि वो अब भी उन्हें अपनाना चाहती हैं। उन्होंने बिना देर किये माँ को कसके गले से लगा लिया है और तभी माँ की नजर डैड के पीछे खड़े नन्हे से बच्चे यानि मुझ पर पड़ती है। ‘केविन, इज ही योर सन?’ मुझे देखते ही उन्होंने डैड से पूछा।
डैड ने उन्हें गले लगाए हुए ही हाँ में सिर हिला दिया।
फिर डैड ने मुझे अपने पास बुलाया और कहा- ‘एडविन, बेबी कम हियर, से हेलो, शी इज योर मॉम।’
‘नो एडविन’ मुझे देखते ही उन्होंने हाथ के इशारे से मना करते हुए कहा। (डैड माँ की ओर निराशाभरी नज़रों से देखने लगते हैं। वो समझते हैं कि माँ उन्हें तो अपना सकती हैं पर किसी और के बच्चे को अपनाना शायद माँ के लिए आसान नहीं होगा।)
माँ शायद उनके मन की बात भाँप गयी थीं। उन्होंने मुस्कुराकर डैड की ओर देखा कहा- ‘केविन, तुमसे जुड़ी हर चीज मेरी है और ये (मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए) भी। अब से एडविन हमारा बेटा है।’
फिर मेरे सिर पर हाथ फ़ेरते हुए-‘बेटा, कॉल मी माँ।’ और उन्होंने जमीन पर मेरे बराबर बैठकर मुझे गले से लगा लिया। (उस समय मुझे हिंदी समझ नहीं आती थीं तो ‘माँ’ शब्द के मायने नहीं पता थे ज्यादा पर उनके स्नेह में जो अपनापन था उसकी तलाश जाने मुझे कब से थी। मैंने अपने छोटे हाथों से माँ के चारों ओर लपेट दिए। डैड हम दोनों को ऐसे देख अपने आँसू रोक नहीं पाए। पर उन्होंने ने जल्दी से अपने कैमरे में वो लम्हा कैद कर लिया।’

फिर जितने दिन मैं वहाँ रहा वो मुझ पर अपनी ममता लुटाती रहीं। माँ असल में क्या होती है ये मुझे सुकन्या माँ से ही पता चला। छुट्टियों के दिनों में सारे बच्चे जब घूमने जाने की प्लानिंग करते थे तब मैं माँ के पास इंडिया जाने की प्लानिंग कर रहा होता था।
‘माँ कभी यहाँ आ जाती थीं हमारे पास तो कभी मैं और डैड उनके पास चले जाते थे। पर हर मायनों में वो हमारे परिवार को पूर्ण करती थीं। उनसे मिलने के कारण ही मैंने डिसाइड किया था कि मैं एक भारतीय लड़की से ही शादी करूँगा। तुम्हें याद है हमारी शादी के कुछ दिन पहले ही जब मैं चार दिन के टूर पर ऑफिसियल वर्क से इंडिया गया था (अवि हाँ में सिर हिलती है) तब एक मैंने तुम्हें वीडियो कॉल की थी तो मेरे पीछे ही माँ खड़ी थीं और तुम उन्हें बहुत पसंद आई थी। पर तुम्हें सरप्राइज देने के प्लान के कारण मैंने तुम्हें उनके बारे में कुछ नहीं बताया था। पर अभी दो घंटे पहले ही डैड ने बताया कि माँ को कैंसर था पर उन्होंने किसी को भी पता नहीं लगने दिया था। आखिरी के कुछ हफ्ते उनके बहुत कष्ट में बीते थे पर तब भी उन्होंने डैड को मुझे कुछ भी बताने से मना किया था। हमें इस बारे में पता न लग जाये, शायद इसीलिए हमारी शादी के बाद भी हमसे मिलने की जिद नहीं की और अब वो हमें हमेशा के लिए छोड़ कर चली गयी।’ एडी फिर अवि को पकड़कर रोने लगता है। अवि ने भी एडी को इतना इमोशनल कभी नहीं देखा था उसने कसकर उसे गले से लगा लिया बिना ज्यादा सवाल किये।
थोड़ी देर बाद….
‘एडी?”
‘हम्म?’
‘माँ को मैं सामने से तो नहीं देख पायी पर उनकी कोई तस्वीर अब तो दिखा दो।’ अवि ने एडी से कहा।
एडी ने पास रखा मोबाइल निकाला और एक सिक्योर फोल्डर ओपन कर अपनी सुकन्या माँ की तस्वीर दिखाने लगा अवि को। अवि भी सुकन्या माँ की तस्वीर देख बहुत प्रभावित हुई।
तभी ‘एडी, इंडिया चलें?’ अवि ने प्रश्न के रूप में अपनी बात रखी।
‘पर तुम्हारी प्रेगनेंसी?’ एडी ने शंका प्रकट की।
‘एडी, मैं एक भारतीय नारी हूँ और भारतीय नारियाँ इतनी कमजोर नहीं होती हैं। इंडिया में मैंने देखा है कि कई महिलायें प्रेग्नेंसी के आखिरी दिन तक काम करती हैं फिर मुझे तो अभी तीन महीने ही हुए हैं।’ अवि ने कहा।
‘पर अवि अब तो माँ भी नहीं है और जब तक हम पहुंचेंगे उनका अंतिम संस्कार भी हो चुका होगा’ एडी ने प्रतिक्रिया ज़ाहिर की।
‘पर डैड तो हैं ना एडी। वो वहाँ अकेले हैं और उन्हें हमारे साथ की जरूरत है। वैसे भी इंडिया में हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के बाद भी तेरह दिनों तक विशेष पूजन का प्रावधान होता है तो हम अपनी माँ की आत्मा की शांति के लिए उन सब का आयोजन तो कर ही सकते हैं ना? फिर कुछ दिनों बाद हम आ जाएंगे ताकि सेम डॉक्टर से चेकअप कंटिन्यू रहे और बाद में कोई प्रोब्लेमस न हों। हम्म’ अवि ने अपनी बात स्पष्ट की।
एडी भी इस बात से सहमत था। बस फिर अगले दिन दोनों सॉरी-सॉरी तीनों तैयार थे इंडिया जाने के लिए।
—(समाप्त)—
—(Copyright@भावना मौर्य “तरंगिणी”)—
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पाठकों से: आशा है कि आपको ये कहानी पसंद आयी होगी। मेरी अन्य रचनाओं को आप मेधज न्यूज़ पर मौजूद मनोरंजन केटेगरी के ‘कवितायें और कहानियाँ’ सेक्शन में पढ़ सकते हैं।

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