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क्या होती है धोबिया नृत्य लोक कला जाने
धोबिया’ लोक कला पूर्वांचल की प्रमुख लोक कला है। उत्तर-प्रदेश राज्य के भोजपुरी क्षेत्र के धोबी समाज में यह लोक कला ‘सामूहिक लोक कला’ के रूप में जाना जाता है। ‘धोबिया’ लोक कला के अंतर्गत धोबिया लोक गीत, धोबिया नाच, धोबिया नौटंकी, धोबिया वेश-भूषा, धोबिया लोक संगीत, धोबिया मिथक, धोबिया वाद्ययंत्र, धोबिया लोक संस्कृति, धोबिया साहित्य, धोबिया कहावतें और धोबिया लोकविश्वास इत्यादि लोक कलाओं का हिस्सा है। ‘धोबिया’ लोक कला भोजपुरी की प्रमुख लोक कला है। धोबी जाति द्वारा मृदंग, रणसिंगा, झांझ, डेढ़ताल, घुँघरू, घंटी बजाकर नाचा जाने वाला यह नृत्य जिस उत्सव में नहीं होता, उस उत्सव को अधूरा माना जाता है। सर पर पगड़ी, कमर में फेंटा, पावों में घुँघरू, हातों में करताल के साथ कलाकारों के बीच काठ का सजा घोडा ठुमुक- ठुमुक नाचने लगता है तो गायक-नर्तक भी उसी के साथ झूम उठता है।
मांगलिक समारोहों की शान समझे जाने वाले धोबिया नृत्य को प्रदेश के पूर्वांनचल समेत पूरे देश में काफी पसंद किया जाता था। आज इस कला से जुड़े कलाकार, काम ना मिल पाने के कारण परेशान हैं। जीवनराम के साथ पहले 30 से ज़्यादा लोग यह नृत्य करते थे, वहीं अब इस नृत्य के घटते चलन के कारण उनकी टोली में काम करने वाले लोगों की संख्या लगातार कम हो रही है।
आपको बता दे कि “धोबिया नृत्य कला राज्य की सबसे प्राचीन नृत्य कलाओं में से एक है। धोबिया जैसी अन्य लोककलाओं को जीवित रखने के लिए प्रदेश सरकार हर वर्ष सांझी विरासत औऱ लखनऊ महोत्सव जैसे आयोजनों में धोबिया कलाकारों को बुलाकर उन्हें सम्मानित करती है।”