क्वाण्टम कंप्यूटिंग है दुनिया का भविष्य

क्वाण्टम शब्द आते ही साइंस के छात्र सोचते होंगे की किसी सब-एटॉमिक कण की बात होने वाली है, और है भी कुछ ऐसा ही, मगर कुछ अलग है, इस बार ये छोटे छोटे कण कंप्यूटिंग में इस्तेमाल होने वाले हैं। आज हम आपको बताएँगे की क्या होती है क्वाण्टम कंप्यूटिंग ? और क्यों कहा जाता है इसे भविष्य का कम्प्यूटर।
मगर पहले समझते हैं की आखिर कंप्यूटर में ऐसा क्या है जिसे क्वाण्टम स्तर पर ले जाकर वैज्ञानिक क्यों कंप्यूटर की क्षमता को कई गुना बढ़ाना चाहते है।
आपने बिट या बाइट के बारे में सुना होगा, असल में यही वो बिल्डिंग ब्लॉक है जिसके आधार पर हमारी कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी बनी हुई है। पिछले कई दशकों से इन्हे 0 या 1 के रूप में रखा जाता है जो की असल में छोटे इलेक्ट्रिकल चार्ज होते हैं।
अब वैज्ञानिक इनका रूप यही रखते हुए इन्हे क्वाण्टम स्टेज में सेव रखना चाहते हैं, और इन्हे भविष्य में क्यूबिट या फिर क्युबाईट कहा जाएगा। अब इसका फायदा ये होगा की इन क्यूबिट से बनने वाले लॉजिक गेट्स, या डाटा बेहद तेजी से एक्सेस या प्रोसेस किये जा सकेंगे। क्योंकि सामान्य रूप या कन्वेंशनल कंप्यूटिंग में चार्ज के रूप में स्टोर किये गए बिट या बाइट का एक्सेस और प्रोसेस इनके मुकाबले कही धीमा होता है। और इनका सबसे बड़ा फायदा ये होगा की वो गणना या फिर सिमुलेशन जो की आज की कन्वेंशनल कंप्यूटिंग से संभव नहीं है उसे भी भविष्य में संभव बनाया जा सकेगा।
वैसे तो इसकी शुरुआत लगभग आज से कई दशक पहले हुई थी, मगर ये क्षेत्र इतना सुगम नहीं है की इसमें इतनी जल्दी महारथ हासिल की जा सके। इसमें अभी कुछ दशक और लग सकते हैं और उसके बाद ही ये शायद कमर्शियल रूप से सफलता को छू सके।
इस तकनीक में आज के सारे बड़े देश या टेक कंपनियां पैसा लगा रही हैं ताकि इसे सफलता पूर्वक इस्तेमाल में ला सकें। लेकिन ये जान लीजिये की ये इतने वर्षो क बाद भी कमर्शियल रूप में आसानी से उपलब्ध क्यों नहीं है। असल में क्यूबिट को उसकी एक ही जैसी अवस्था में रखना सामान्य चार्ज के मुकाबले कही मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि क्वाण्टम स्टेज में रखने के लिए आज के समय में ट्रांसमोस या आयन ट्रैप्स का इस्तेमाल होता है जो की काफी मुश्किल टेक्नोलॉजी है।
आम तोर पर क्यूबिट के नुकसान से बचने के लिए डाटा करेक्शन जैसी तकनीक का इस्तेमाल करना पड़ता है जो की एक बड़ी रूकावट के रूप में सामने आया है, और आज के वैज्ञानिक इसे ही सुलझाने में लगे हुए है। जैसे ही क्यूबिट को स्टेबल बनाये रखने की तकनीक में महारत हासिल हो जाएगी वैसे क्वाण्टम कंप्यूटिंग का युग शुरू हो जाएगा। और उसके बाद आपको तकनीक की दुनिया में वो उछाल देखने को मिलेगा जिसके लिए मनुष्य पिछले कई वर्षो से परेशान है।