रॉ – एक ऐसी सस्था जिसको किसी ने महत्त्व नहीं दिया ?

रॉ – एक ऐसी सस्था जिसको किसी ने महत्त्व नहीं दिया , उसने पाकिस्तान के दो टुकड़े कराये, जिसने नेपाल को सबक सिखाया , जिसकी वजह से लाहौर कांड में जहाज वापस आया , जिसने अमर शहीद रविंदर जैसे जासूस और भारत के चाचा चौधरी अजीत डोवाल दिए वही रॉ – जिसने सुचना दी है पी ओ के में कुछ होने वाला है। जासूसों का काम कुछ इस तरह का होता है कि कभी-कभार उन्हें क्रेडिट भी नहीं मिलता। न मौत के बाद वो सम्मान , कभी कभी तो मौत के बाद भी ज़मीन नहीं मिलती। अक्सर जब कोई घटना घटती है तो कह दिया जाता है कि इंटेलिजेंस फेल्योर था। भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी लड़ाई करगिल में लड़ी गई थी। बहुत से लोग ऐसा मानते आए हैं कि उस समय भारत का इंटेलिजेंस फेल रहा था। जबकि फेल नहीं था । सच्चाई कुछ अलग है। उस समय लेह में तैनात एक जासूस ने अपने चीफ के जरिए सरकार को ‘रेड सिग्नल’ भेजा था। लेकिन उस खुफिया इनपुट को गंभीरता से नहीं लिया गया।
RAW के पूर्व चीफ विक्रम सूद बताते हैं कि अक्टूबर 1998 में ही एजेंसी ने एक गुप्त रिपोर्ट भेजी थी कि वहां सैनिकों की मूवमेंट हो रही है और ऐसा लग रहा है कि वे कुछ बड़ा प्लान कर रहे हैं। खुफिया एजेंसी ने ‘युद्ध’ शब्द का भी इस्तेमाल किया था और कहा था कि यह जल्द हो सकता है। भारत के जासूसों ने खबर दी थी कि पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को शांतिपूर्ण वाली लोकेशन जैसे मांगला, गुजरांवाला और लाहौर से पीओके भेजा है। इंटेलिजेंस का आकलन था कि कुछ न कुछ होने वाला है।
RAW ने क्या खुफिया इनपुट का कोई प्रूफ सरकार को दिया था? इस पर विक्रम सूद ने बताया कि लोकेशन बताने के लिए सैटलाइट मैप दिए गए थे, एक टेप भी दिया गया था जिसमें मुशर्रफ जनरल अजीज खान से बात करते सुने गए थे। जब पाक आर्मी ने करगिल में लड़ाई छेड़ी तो शुरू में वे ऊंचाई पर थे और मजबूत पोजीशन में भी। मुशर्रफ ने बीजिंग से अजीज को फोन किया था और कह रहे थे, ‘इनकी तो टूटी (रिमोट कंट्रोल जैसा भाव) हमारे हाथ में है।’ मतलब था कि पूरा ऑपरेशन हमारे नियंत्रण में है। वह कह रहे थे कि मियां नवाज शरीफ को ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है। उन्हें कहना कि सब ठीक है और हम इसे जारी रखेंगे। उस बातचीत ने प्रूफ दे दिया था कि पाकिस्तान आर्मी पूरी तरह से शामिल है।