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ज्ञानवापी केस में आज अहम दिन हिंदू पक्ष की इन चार मांगों पर होना है फैसला-मेधज न्यूज़

वाराणसी बाबा काशी विश्वनाथ नगरी के ज्ञानवापी केस में आज बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। आज 17 नवंबर वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष की चार मांगों पर अपना फैसला सुनाएगी, जिसमें भगवान शिव की नियमित पूजा और इस परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक भी शामिल हैं। किरण सिंह बिसेन ने अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी के जरिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। ज्ञानवापी परिसर से सम्बंधित किरण सिंह बिसेन की याचिका पर वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट आज फैसला सुनाएगी, 14 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिविजन महेंद्र कुमार पांडे की अदालत ने 2 दिन के लिए फैसला टाल दिया था। आज कोर्ट ये फैसला करेगी कि मामला सुनवाई के योग्य है या नहीं।
किरण सिंह ने कहा कि इस मामले का हाई कोर्ट का शृंगार गौरी मामले में दिए गए ऑब्जरवेशन से कोई संबंध नहीं है। हिंदू पक्ष के पक्षकार संतोष सिंह ने कहा कि हमें न्यायालय पर भरोसा है और भले ही 2 दिन की देरी हुई है लेकिन फैसला सही होगा. हमारा दावा मजबूत है और सभी पहलुओं को मजबूती से रखा है। हिंदू पक्ष की किरण सिंह की तरफ से एक मुकदमा वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रेक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में इसी साल से चल रहा है।
ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष की ये 4 मांगे
1- संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को दिया जाए
2- संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम वर्ग के लोगो का प्रवेश निषेध किया जाए
3- तत्काल प्रभाव से भगवान आदि विश्वेश्वर शंभू विराजमान की नियमित पूजा प्रारंभ हो
4- मंदिर के ऊपर बने विवादित ढांचे को हटाया जाए।
ज्ञानवापी केस की रख-रखाव पर सवाल उठाते हुए मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ आपत्ति दर्ज की गई थी। इसके बाद कोर्ट ने आर्डर 7 रूल 11 पर सुनवाई शुरू की और दोनों ही पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला रिजर्व कर लिया था। जिला जज की अदालत में पोषणीयता का मामला खारिज कर देने की तरह इसमें भी खारिज होने की आशंका के जवाब में उन्होंने बताया कि जिला जज की अदालत में श्रृंगार गौरी मामला नियमित सिर्फ पूजा को लेकर था, जबकि इस केस में ज्ञानवापी मस्जिद के टाइटल को लेकर है. इसलिए उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह मुकदमा कोर्ट खारिज कर देगा। वहीं हिंदू पक्ष से किरण सिंह के वकील अनुपम द्विवेदी ने भी बताया कि केस खारिज हो जाने की स्थिति में उनकी ओर से ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

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