131 साल पूरानी न्यूटन का तीसरा नियम क्या ग़लत है ?

प्रयोगात्मक आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर न्यूटन का नियम वस्तु की प्रकृति, संरचना, विशिष्ठता, कठोरता, लचीलापन, आकार आदि की अनदेखी करता है। नियम के अनुसार विश्व की सभी स्थितियों पर अगर क्रिया (फोर्स या बल) समान है तो प्रतिक्रिया भी समान होनी चाहिए। उपरोक्त प्रभावों या घटकों का प्रतिक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए जबकि प्रयोगों में उपरोक्त घटक परिणामों को पूरी तरह बदल देते हैं। यह न्यूटन के नियम की सबसे बड़ी खामी है।
एक ही भार के लोहे की कील और स्प्रिंग को गिरा कर खामी का पता लगा सकते हैं। स्प्रिंग फर्श से टकरा कर तेजी से ऊपर उछलता है जबकि कील बिल्कुल नहीं उछलती। तीसरे नियम के अनुसार दोनों स्थितियों में प्रतिक्रिया बराबर होनी चाहिए थी। जब हम रबड़ की गेंद को फर्श पर गिराते हैं तो वह टकरा कर ऊपर उछलती है। इस तरह तीसरा नियम इस स्थिति में सही है। अगर उसी गेंद को हम रेत में गिराते हैं तो बिल्कुल ऊपर नहीं उछलती है। इस तरह तीसरा नियम गलत है। नियम की मुख्य खामी यह है कि यह वस्तु की प्रकृति, संरचना, कठोरता, लचीलापन आदि अनदेखी की करता है। इस खामी को दूर करने के लिए न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन किया गया है। संशोधित नियम के अनुसार प्रतिक्रिया, क्रिया के बराबर या भिन्न भी हो सकती है। इस सम्बन्ध में वस्तु की विशेषताएं बहुत महत्वपूर्ण हैं जिनकी न्यूटन का नियम अनदेखी करता है।