मनोरंजनकवितायें और कहानियाँ
तुम्हें मुस्कुराते हुये देखना

तुम्हें मुस्कुराते हुये देखना,
अब मेरा शगल बन गया है,
उदासियाँ तेरे चेहरे पर,
मुझे बिल्कुल भाती नहीं हैं;
तेरी शोख सी निगाहें,
मुझसे कहती हैं बहुत कुछ,
पर तेरी तरह मन खोल देने-
की कला मुझे आती नहीं हैं;
जिंदादिली तेरी बातों में,
मुझे जीने की वजह देती है,
दुनिया की कोई भी दौलत,
मुझे अब रिझाती नहीं है;
मेरे जीवन में तेरी मौजूदगी,
जैसे सुखों का सागर सा है,
तेरे बिन जिन्दगी एक भी पल,
अब मुझे लुभाती नहीं है;
तेरी छुअन वो रूहानी सी,
अप्रतिम एहसासों से भर देती है,
तेरे व्यक्तित्व की वो महक,
मेरे ज़हन से निकल पाती नहीं है।
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—(Copyright@भावना मौर्य “तरंगिणी”)—