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क्या संभोग भी हो सकता है मोक्ष प्राप्त करने का एक साधन ?

खुजराहो -मध्‍यप्रदेश का यह शहर, दुनियाभर में प्राचीन मंदिर, रति क्रीड़ा और काम कला के आसनों में दर्शाए गए स्‍त्री-पुरुष छतरपुर जिले में स्थित है। यह शहर मंदिर कामुक मूर्तियों के लिए जाना जाता है मगर प्राचीन मंदिरो का जिक्र कम होता है इस मंदिर की दीवारों पर बनी 10 प्रतिशत नक्‍काशी ऐसी हैं, जो यौन गतिविधियों को दर्शाती है। वहीं 90 प्रतिशत नक्‍काशी उस वक्‍त वहां के लोगों के जीवन को प्रदर्शित करती उसके बाद भी यह केवल रति क्रीड़ा और काम कला के आसनों के लिए प्रसिद्ध है, मंदिर की मूर्तियों में अष्‍ट मैथुन का सजीव चित्रण दिखाई देता है। दीवार पर ऊपर से नीचे की ओर बनी 3 मूर्तियां कामसूत्र में वर्णित एक सिद्धांत की अनुकृति है। मैथुन क्रिया की शुरुआत में आलिंगन और चुंभन के जरिए उत्‍तेजना बढ़ाने का महत्‍व दर्शाया गया है। वही अन्‍य दृश्य में एक पुरुष 3 स्त्रियों के साथ रतिरत नजर आता है। एक मूर्ति ऐसी भी हैं, जहां नायक नायिका एक दूसरे को उत्तेजित करने के लिए नख दंत का प्रयोग कर रहे हैं। यह भी कामसूत्र के किसी सिद्धांत को दर्शाता है। सोचिये अगर इस मुद्रा में मनुष्य खड़ा हो जाये तो लोग विरोध ही नहीं बल्कि गन्दी दृष्टि से देखते है जबकि उन आसनो की जो रति क्रीड़ा और काम कला में रत है का विशुद्ध वर्णन करते हैं ।

जब यह मूर्तियां बनी जो कि चन्देलों ने बनवाई थी तब धर्म का प्रचुर दबदबा था चंदेल राजाओं के समय इस क्षेत्र में तांत्रिक समुदाय की वाममार्गी शाखा का वर्चस्व था। ये लोग योग और भोग दोनों को मोक्ष का साधन मानते थे। ये मूर्तियां उनके क्रियाकलापों की ही देन हैं। शास्त्र कहते हैं कि संभोग भी मोक्ष प्राप्त करने का एक साधन हो सकता है, लेकिन यह बात सिर्फ उन लोगों पर लागू होती है, जो सच में ही मुमुक्षु हैं। इस लिए तब मूर्तियां बनाते वक्‍त धर्मगुरुओं ने इसका विराध नहीं किया। जबकि क्‍या इस मंदिर का कामसूत्र से कोई संबंध है। खजुराहो में कामुक मूर्तियां लगाने का भी एक राज है, हालांकि कामकला के पुरुषों के चेहरे पर अश्लीलता का भाव तक नहीं दिखता। ये मंदिर और इनका मूर्तिशिल्‍प स्‍थापित्‍य और कला की अमूल्‍य धरोहर है। ऐसी क्‍या वजह थी कि मंदिर की दीवारों पर रति क्रीडा, नृत्य मुद्राएं, अध्यात्म और प्रेम रस की प्रतिमाएं बनाई गई। यह यहां की नक्‍काशी और खूबसूरत चित्रकारी देखकर पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इन मूर्तियों का रहस्य अब तक बना हुआ है। चन्देलों के 22 मंदिरों में से एक कंदारिया महादेव का मंदिर काम शिक्षा के लिए काफी मशहूर है। इस मंदिर का निर्माण राजा विद्याधर ने मोहम्मद गजनवी को दूसरी बार परास्त करने के बाद 1065 ई. के आसपास करवाया था। बाहर दीवारों पर नर-किन्नर, देवी-देवता और प्रेमी-युगल आदि के सुंदर चित्र उकेरे गए हैं।

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