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लघुकथा- ईमानदारी का बीज

लघुकथा- ईमानदारी का बीज

यह कहानी मैंने कहीं पढ़ी थी और मुझे प्रेरणादायी लगी। इसलिए मुझे लगा कि इसे आप सबके साथ शेयर करना चाहिए शायद कोई इससे प्रेरित होकर अपने ईमानदारी के बीज को विशाल वृक्ष में परिवर्तित कर सके। आप भी इसे पढ़े और आगे शेयर करें:-

कहानी:-

एक सफल व्यवसायी बूढ़ा हो रहा था और जानता था कि व्यवसाय को संभालने के लिए अब उत्तराधिकारी चुनने का समय आ गया है। पर उन्होंने अपने किसी एक डायरेक्टर या अपने बच्चों को चुनने के बजाय कुछ अलग करने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने अपनी कंपनी के सभी युवा अधिकारियों को एक साथ कांफ्रेंस रूम में बुलाया। उन्होंने कहा, “अब मेरे लिए यह पद छोड़ने और अगला CEO चुनने का समय आ गया है और मैंने आप में से किसी एक को इस पद के लिए चुनने का फैसला किया है।”

सभी युवा अधिकारी चौंक गए, लेकिन बॉस ने अपनी बातों को जारी रखा और कहा – “इसके लिए मैंने अपने कुछ तरीके सोचे हैं। मैं आज आप में से प्रत्येक को एक बीज देने जा रहा हूँ – एक बहुत ही विशेष बीज। मैं चाहता हूँ कि आप सब उसे बोयें, उसे सींचें, और आज से एक वर्ष बाद जो कुछ आप उस बीज से उगायें जो मैंने आपको दिया है; उसके साथ यहाँ वापस आइये। फिर मैं आपके द्वारा लाए गए पौधों का निरीक्षण करूंगा, और उसके आधार पर जिसे मैं चुनुँगा वह अगला सीईओ होगा।”

उस दिन अगस्त्य नाम का एक कर्मचारी भी वहाँ मौजूद था और उसे भी दूसरों की तरह एक बीज मिला। वह घर गया और उत्साह से अपनी पत्नी को कहानी सुनाई और उसकी मदद से एक बर्तन, मिट्टी और खाद को लेकर प्राप्त किया हुआ बीज बोया। हर दिन निष्ठापूर्वक वह इसे पानी देता और देखता कि क्या यह बड़ा हो गया है। लगभग तीन सप्ताह के बाद, कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने बीजों और उन पौधों के बारे में बात करना शुरू कर दिया जो उगने लगे थे।

अगस्त्य अपने बीज की जाँच करता रहा, लेकिन कभी कुछ नहीं बढ़ा। तीन हफ्ते, चार हफ्ते, पाँच हफ्ते बीत गए, फिर भी कुछ नहीं हुआ। अब तक, अन्य लोग अपने पौधों के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन अगस्त्य के पास एक पौधा नहीं था जिसके बारे में वो कुछ भी कह सके और वह असफल महसूस कर रहा था।

इसी तरह लगभग छह महीने बीत गए। अभी भी अगस्त्य के द्वारा रोपित बीज में एक भी कोंपल नहीं फूटी थी। उसे ये लगता था कि वो सही से अपने सर के द्वारा दिए गए बीज की सेवा नहीं कर पाया। बाकी सबके पास उनके द्वारा रोपित बीजों से निकले होते पेड़ और ऊँचे पौधे थे, लेकिन उसके पास कुछ भी नहीं था। अगस्त्य ने अपने सहयोगियों से कुछ नहीं कहा, हालांकि… वह सिर्फ मिट्टी को पानी और खाद देता रहा – वह चाहता था कि बीज बढ़े।

आखिरकार एक साल बीत गया और कंपनी के सभी युवा अधिकारी अपने पेड़/ पौधों को निरीक्षण के लिए सीईओ के पास ले आए।

अगस्त्य ने अपनी पत्नी से कहा कि उसके पास कुछ भी नहीं है निरिक्षण कराने के लिए और इसके साथ ही उसे कोई उम्मीद नहीं थी अपने लिए इस प्रतियोगिता में। लेकिन उसकी पत्नी ने उसे प्रेरित किया कि उसे इस प्रतियोगिता में ईमानदारी से उपस्थित होना चाहिए और जो कुछ भी सच है उसे बता देना चाहिए। वैसे भी हर प्रतियोगिता में सब तो विजेता नहीं हो सकते हैं न तो अपने स्तर पर ईमानदारी दिखाते हुए आगे की प्रतियोगिताओं में अपने बेस्ट देने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए। अगस्त्य बहुत ही नर्वस था और उसे पता था कि यह उसके व्यवसायिक जीवन का सबसे शर्मनाक क्षण होने वाला था। पर वो ये भी जानता था कि उसकी पत्नी सही कह रही है और उसे इसका सामना करना ही पड़ेगा।
अंततः वह अपना खाली बर्तन बोर्ड रूम में ले गया। वहाँ पहुँच कर अगस्त्य अन्य अधिकारियों द्वारा उगाए गए पौधों की विविधता पर चकित था। वे सभी सुंदर थे – आकारों में।

अगस्त्य ने अपना खाली बर्तन जब सबके पौधों के बीच में रखा तो उसके कई साथी हँसे और कुछ को उसके लिए दुख भी हुआ। सभी के पौधों के साथ उन्हें बोने वालों के कुछ अनुभव भी कुछ शब्दों में लिख साथ ही जमा किये गए थे। सभी को कुछ समय बाद CEO द्वारा निर्णय की घोषणा किये जाने की सुचना दी गयी। जब CEO पहुँचे, तो उन्होंने कमरे और वहाँ पर रखे सभी पौथों का पुनः सर्वेक्षण किया और साथ ही अपने सभी युवा अधिकारियों का अभिवादन किया।

अगस्त्य ने खुद को सभी के पीछे छिपाने की कोशिश की। “आप सभी ने कितने सुन्दर पौधे, पेड़ और फूल उगाए हैं”, CEO ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा। और इसी के आधार पर “आज आप में से किसी एक को अगला CEO नियुक्त किया जाएगा!”

अचानक, CEO ने अगस्त्य को अपने खाली बर्तन के साथ कमरे में सबसे पीछे देखा। उन्होंने अपने वित्तीय निदेशक को उसे सामने लाने का आदेश दिया।

अगस्त्य बहुत घबरा गया। उसने सोचा, “सीईओ जानते हैं कि मैं असफल हूँ! शायद अब तक उन्होंने मुझे मुझे निकाल दिया होगा!”
जब अगस्त्य सामने आया, तो CEO ने उससे पूछा कि उसके बीज को क्या हुआ था तो अगस्त्य ने उन्हें सब कुछ सच- सच बता दिया।

CEO ने अगस्त्य को छोड़कर सभी को बैठने को कहा। उन्होंने अगस्त्य की ओर देखा, और फिर घोषणा की, “कि अपने अगले मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को देखें! उनका नाम अगस्त्य नंदा है!” अगस्त्य सहसा ही इस पर विश्वास नहीं कर सका। अगस्त्य अपना बीज भी नहीं उगा सका था।

“वह नया CEO कैसे हो सकता है?” अन्य युवा अधिकारियों में आपस में कानाफूसी होने लगी।

तब CEO ने कहा, “आज से एक साल पहले, मैंने इस कमरे बैठे सभी युवा अधिकारियों को एक बीज दिया था। मैंने आप सबसे कहा था कि बीज लो, उसे बो, पानी दो, और आज मेरे पास वापस लाओ। परन्तु मैंने आप सभी को सब उबले हुए बीज दिए थे; वे मर चुके थे और उनके लिए उगना संभव ही नहीं था। अगस्त्य को छोड़कर आप सभी मेरे लिए पेड़-पौधे और फूल लाए हैं। क्योंकि जब आप सबने महसूस किया कि बीज नहीं उगेगा, तो जो बीज मैंने आपको दिया था, उसके स्थान पर आपने दूसरा बीज रख दिया। केवल अगस्त्य ही साहस और ईमानदारी के साथ मेरे बीज के साथ यहाँ उपस्थित हो पाया। इसलिए, एक वही है जो नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) बनने के योग्य है! क्योंकि वो खुद के साथ और संस्था के साथ ईमानदार रहा।”
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इसलिए, आप अभी क्या रोपते हैं; यह निर्धारित करेगा कि बाद में आप कौन सी फसल काटेंगे।
“आप जीवन को जो कुछ भी देते हैं, जीवन आपको वापस देता है।”
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—(भावना मौर्य “तरंगिणी”)—

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