मुजफ्फरनगर का शुक्रताल अत्यंत धार्मिक एवं पौराणिक स्थल

शुक्रताल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद मुख्यालय से लगभग 28 किमी दूर स्थित है। शुक्रताल उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जो महर्षि शुकदेव की कथाओं और पवित्रता के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य की भरपूर जगह है। यहाँ के मेले और मंदिरों का आदर्श अद्वितीय है और यहाँ के अक्षय वट वृक्ष और भगवान हनुमान के मंदिर ने इसे और भी विशेष बना दिया है। इसे एक स्थानीय और धार्मिक दर्शनीयता के रूप में देखा जा सकता है जो प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ धार्मिक महत्व को मिलाकर प्रस्तुत करता है।
पौराणिक महत्व
शुक्रताल वह स्थान है जहां महऋषि शुकदेव ने 5000 वर्ष पूर्व महाराजा परीक्षित को पवित्र श्रीमद्भागवत पुराण सुनाया था। यह स्थान गंगा नदी के तट पर स्थित है और उत्तर भारत के प्रसिद्ध पवित्र स्थलों में से एक है।
कार्तिक पूर्णिमा मेला
प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को यहाँ पर एक विशेष मेला आयोजित होता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
महर्षि शुकदेव का मंदिर
यहाँ महर्षि शुकदेव जी का मंदिर स्थित है, जहां भगवान कृष्ण की बांसुरी बजाती हुई छवि महर्षि शुकदेव जी एवं राजा परीक्षित की मूर्तियों से घिरी हुई है।
भगवान हनुमान एवं गणेश मंदिर
शुक्रताल भगवान हनुमान की अब तक की सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह मूर्ति जमीन से 75 फीट 10 इंच ऊंची है। हनुमान मंदिर के पास भगवान गणेश का मंदिर भी स्थित है जिसमें भगवान गणेश जी की एक 35 फीट ऊंची प्रतिमा है।
अक्षय वट वृक्ष
शुक्रताल के समीप अक्षय वट वृक्ष स्थित है, जिसके नीचे महर्षि शुकदेव जी भागवत कथा सुनाया करते थे। हर साल कई भक्त यहाँ आते हैं और प्रसिद्ध अक्षय वट वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा भी करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि बरगद का यह पेड़ कभी अपने पत्ते नहीं गिराता। इस विशाल वृक्ष को देखना काफी दिलचस्प अनुभव है जिसने कई सभ्यताओं को आते-जाते देखा है। यह वृक्ष प्राचीन मंदिरों, तीर्थयात्रियों के ठहरने के स्थान, विसर्जन स्थलों आदि से घिरा हुआ है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
शुक्रताल का पौराणिक महत्व क्या है?
शुक्रताल वह स्थान है जहां महऋषि शुकदेव ने 5000 वर्ष पूर्व महाराजा परीक्षित को पवित्र श्रीमद्भागवत पुराण सुनाया था।
कार्तिक पूर्णिमा मेला का क्या महत्व है?
कार्तिक पूर्णिमा मेला शुक्रताल का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
शुक्रताल कैसे पहुंचा जा सकता है?
शुक्रताल जिला मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश में स्थित है, और यह रेलवे, बस एवं वायु मार्ग परिवहन सुविधाओं से भली प्रकार से जुड़ा हुआ है, जिनका उपयोग करके पहुंचा जा सकता है।
शुक्रताल का कार्तिक पूर्णिमा मेला कितने दिन चलता है?
कार्तिक पूर्णिमा मेला आमतौर पर 15 दिनों तक चलता है और हजारों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।
शुक्रताल के आस–पास के पर्यटन स्थल क्या हैं?
शुक्रताल के आस-पास कई प्राकृतिक सौंदर्य स्थल और धार्मिक स्थल हैं, जैसे कि भरभूटी जलप्रपात और महादेव शिव मंदिर।