कविता - कदम नहीं जब तेरे हारे....
Medhaj news
31 Aug 20 , 09:37:48
Special Story
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चल दिया तू राह में,
स्वप्न को सँवारने।
ज़िन्दगी घिरी रही,
उलझनें मिटी नहीं।
अर्थ रोकता रहा,
जन टोकता रहा।
चल दिया तू राह में
स्वप्न को सँवारने..।
मोह छोड़ना पड़ा,
पथ मोड़ना पड़ा।
मन कभी उदास सा,
ना ही कोई साथ था।
थीं, कँटीली राह भी,
न हीं कोई हाथ था।
हौंसला बुलंद था,
धैर्य साथ में रहा।
मन सदा अटल रहा
लक्ष्य कभी डिगा नहीं।
कदम कभी रूके नहीं,
पंख कभी बंद नहीं।
चल दिया तू राह में
स्वप्न को संवारने।
असंभव कुछ नहीं होता,
हर संभव बनाना है।
गमों की भीड़ से हट कर
अलग कुछ कर दिखाना है।
---डा.बंदना जैन(कोटा,राजस्थान)---
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