कविता - नीर बिना सब सूना
Medhaj News
20 Jul 20 , 12:44:28
Special Story
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1)संपूर्ण रथयात्रा
2)सीमा के हालात
3)सृजन की चाह
4)आत्मावलोकन
5)मधुमासी कुंडलिया(दो कुंडलिया छंद)
हम सब का दायित्व है, सदा बचायें नीर।
बरबादी जल की सदा, देगी सब को पीर।
तरसेंगे इसके लिये, मत करिए बरबाद।
सूखें नदियाँ-नार सब, मिल जायें दो तीर।।
जल के संसाधन जल के सभी, संरक्षित हों आज।
व्यर्थ न हो अब बूँद भी, जागृत बने समाज।
नये तरीके खोज कर, दोहन को लें रोक।
ऐसे संग्रह हम करें, धरा न हो नाराज।।
अति दोहन को रोक लें, सीमित करें प्रयोग।
सफल करें अभियान यह, जुड़ कर सारे लोग।
हो अकाल का सामना, अगर न चाहें आप।
मिलकर सब निश्चय करें, व्यर्थ न हो उपभोग।।
----प्रवीण त्रिपाठी(नोएडा)----
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