कविता - चलो फिर उन्ही पेड़ो की छाओं में
Medhaj News
29 Jul 20 , 18:46:46
Special Story
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चलो फिर उन्ही पेड़ो की छाओं में,
जहाँ तुम्हारे साथ मेरी वो शाम मुस्कुराया करती थी,
वो ठंडी हवाएं पहले तुम्हे छू कर फिर मुझ तक आया करती थी |
तुम्हे याद है वो चंचल सी नदी,
जो अपनी छोटी- छोटी बूंदो से छलक - छलक के तुम्हे सताया करती थी |
चलो फिर उसी बाजार में,
जहाँ रंग बिरंगी चूड़ियां तुम्हे लुभाया करती थी |
वो रात की चांदनी जो तुम पे अपना सुनहरा रंग बरसाया करती थी |
चलो फिर उसी बाग़ में जहाँ के फूल को तुम अपने बालों में सजाया करती थी |
चलो फिर उन्ही राहों पे जहाँ तुम्हारे साथ चलते- चलते,
हम ज़िन्दगी भर के ख्वाब देख लिया करते थे |
थोड़ी देर के लिए ही सही तुम्हारा हाथ थामकर,
कुछ पालो में सादिया जी लिया करते थे ,
चलो फिर उन्ही पेड़ो की छाओ में |
----अनुप्रिया(पटना)----
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