कविता - तू चलता जा अकेला फिक्र ना कर
Medhaj news
26 Aug 20 , 23:29:44
Special Story
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ये दुनियां है दुखों का मेला,
फिक्र ना कर ये रिश्तों का झमेला।
ये रिश्तों का ताना बाना तो हमनें ही बुना है,
पर उस ईश को देख जो रिश्तों से परे है।।
कर्म कर, आगे बढ़, लड़ना है तुझे, बढ़ना है तुझे।
बढ़ के फिर से इस रिश्ते में ना उलझ,
आखिर तुझे तो इससे पार जाना है।।
खुद को भूल जा, खुद के लिए भूल जा, खुद को ढूंढ तू।
खुद को ढूंढ ईश तुझे मिल जाएगा,
आखिर ईश भी तो तुझे ढूंढता है।।
तू खुद ईश है पर भूल गया, और ईश को ढूंढता है।
ईश तो खुद अधूरा है तेरे बिना,
तू कहां जा रहा है मेरे बिना।।
तू चलता जा अकेला फिक्र ना कर
----मिथिलेश कुमार सिंह----
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