कविता - जिंदगी का खेल

जिंदगी का खेल भी बहुत अजीब है,
हर हाल में हमें खेलना ही पड़ता है,
जिंदगी कभी जलती आग सी होती है,
तो कभी महशूस होती ठंडी हवा सी।
कभी आग की दरिया का तपिश भी सहना पड़ता है,
कभी हवा की झोको में भी खुशियाँ महशुस होती है,
जिंदगी में कभी गम थोड़ा तो ख़ुशी भी बेमिशाल होती है,
जिंदगी में कभी ख़ुशी कमतो गम भी बेहिसाब होती है।
जिंदगी कभी दुःख का दरिया सी होती है,
तो कभी जिंदगी सुख की समंदर भी होता है,
दोनों का एहसास जिंदगी में होना ही,
जिंदगी जीने का सबक बन ही जाता है।
अगर आती रहे प्यार की किरण तो, जिंदगी खुशियों से भर जाती है ,
अगर प्यार किरण ही ना हो तो, जिंदगी ग़मों के आँधरो से भर जाती है।
जिंदगी में कभी गमो से हार, ना खुशियों पे अधिक नाज़ नहीं करना,
कभी बीत जाती है जिंदगी, कई मुश्किलों में उलझ-उलझ कर,
कभी कभी मुस्करा लेना जिंदगी में थोड़ा-थोड़ा वक्त निकाल कर,
क्योंकि जिंदगी भगवान की दी हुई, संसार का सबसे अमूल्य वरदान ।
कभी नहीं खोना इस पल को.....................................................।
-----अजय (H.O)------