कविता - रातरानी.....(एक प्रयास)
Medhaj News
23 Jul 20 , 13:04:47
Special Story
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1) धूप में पथिक...
2) आओ फिर...
3) झुग्गियां...
4) पत्थर दिल...
5) हँसने दो .....
6) बया...
*बरसों बाद
छोटे से उपवन में
लगा डाली
रात रानी।
*भीनी-भीनी
खुशबू ओं से
भीग रहा मन
साँसें भी महक रही
मानो नेह का हो
बंधन।
*महक उठता उपवन
रह रह कर चँहू ओर
रातों को खिलती
खुशबूओं संग झूमती।
*प्रातः को झरती
मौत को ले चूमती।
चार दिन
खिलकर दे जाते
बस प्यार रंग गंध
*ऋतु कोई भी हो
इन्हें तो खिलना है
लुटाकर महक
इक दिन तो माटी में
मिलना है।
*यही है प्रकृति का उपहार
इनकी मधुर स्मृति ,ला देती है
जीवन में निखार।
----डा.बंदना जैन(कोटा,राजस्थान)----
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