कविता - सावन के झूले, साजन के संग
Medhaj News
19 Jul 20 , 16:51:52
Special Story
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देखा जो तेरा चेहरा,
मंत्रमुग्ध मैं हो गया |
झील सी गहरी आंखों में,
जाने कहां खो गया |
चेहरे की लाली ने,
समा रंगीन कर दिया |
तेरी उड़ती जुल्फ ने,
दिल बेचैन कर दिया |
चेहरे की मासूमियत ने,
मुझको कायल बना दिया |
हुस्न तेरा देख कर,
चांद भी शरमा गया |
सांँसे लेता हूंँ तेरी,
खुशबू पाने के लिए |
दिल धड़कता है सिर्फ,
तुझे चाहने के लिए |
मुझ पर मेरा जोर नहीं,
मेरा मुझको होश नहीं |
मदहोश हूंँ या हूंँ मैं पागल,
तेरे इश्क में मैं हूंँ घायल |
दिन रात तेरा नाम लेता हूंँ,
याद करके तुझे आहें भरता हूंँ,
मैं राही तू है मंजिल,
मैं दरिया तू है किनारा |
हर पल चाहूंँ मैं तुझे,
बस तू ही है मेरा ठिकाना |
----ललित खंडेलवाल(मुंबई)----
मेरी पिछली कविता पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें---->प्रवासी मजदूर
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