कविता - झूठ की दुनिया
Medhaj News
29 Jul 20 , 13:20:20
Special Story
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1) मेरी अभिलाषा
2) तन्हाई
3) मध्यम वर्गीय
झूठ की दुनिया है,
दिखावे का बोलबाला,
सच दम तोड़ रहा, कोने में,
हर तरफ फैला अंधियारा |
होड़ लगी है दुनिया में,
मंजिल को पाने की,
झूठ, दिखावा और धोखा,
सब कुछ अपनाने की |
ऐसी मंजिल मिल भी जाय,
तो ये मंजिल किस काम की,
सुकून न मिले जिसमें,
वो मंजिल है विनाश की |
भगवान करेंगे हिसाब कर्मों का,
तब तू क्या जवाब देगा,
मंजिल तो छूट जायेगी दुनिया मे,
रह जायेगा सिर्फ कर्मों का खेला |
मंजिल और कर्मों का,
विचित्र ये खेल है,
कोई जीत कर भी हारे,
किसी की हार में भी जीत है |
स्वरचित
---- ललित खंडेलवाल----
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